आयकर विभाग पर हाईकोर्ट हुआ सख्त कहा, वोडाफोन-आइडिया को रुपये 1128 करोड़ का टैक्स करें रिफंड

बॉम्बे उच्च न्यायालय Bombay High Court ने आदेश में कहा कि “कानून के सख्त दायरे में काम करने की जिम्मेदारी जिन अधिकारियों को सौंपी गई है, उनकी ओर से किसी भी तरह की लापरवाही राजकोष को प्रभावित करती है और इसका देश की समृद्धि और आर्थिक स्थिरता पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है।”

उच्च न्यायलय ने वोडाफोन आइडिया लिमिटेड द्वारा दायर एक याचिका पर अपना फैसला सुनाया, याचिकाकर्ता ने ये दावा किया गया था कि आयकर विभाग आकलन वर्ष Assessment Year 2016-2017 के लिए भुगतान की गई राशि को वापस करने में विफल रहा, जो कि उसकी आय पर वैध कर से अधिक था।

बॉम्बे उच्च न्यायालय Bombay High Court ने आयकर विभाग को निर्देश दिया है कि वह वोडाफोन आइडिया लिमिटेड को आकलन वर्ष Assessment Year 2016-17 के लिए कर के रूप में भुगतान किए गए 1,128 करोड़ रुपये लौटाए। उच्च न्यायालय ने दिए गए अपने फैसले में कहा कि इस साल अगस्त में विभाग द्वारा पारित आकलन आदेश समय की पाबंदी के साथ थी और इसलिए इसे बरकरार नहीं रखा जा सकता।

न्यायमूर्ति केआर श्रीराम और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ ने 30 दिन के निर्धारित समय के भीतर अंतिम आदेश पारित नहीं करने में ‘ढिलाई और सुस्ती’ दिखाने के लिए आकलन अधिकारी के खिलाफ भी कड़ा रुख अपनाया और इस तरह सरकारी खजाने और जनता को भारी नुकसान पहुंचाया गया।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने वोडाफोन आइडिया लिमिटेड द्वारा दायर एक याचिका पर अपना फैसला सुनाया, जिसमें दावा किया गया था कि आयकर विभाग आकलन वर्ष 2016-2017 के लिए भुगतान की गई राशि को वापस करने में विफल रहा, जो कि उसकी आय पर वैध कर से अधिक था।

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पीठ ने अपने आदेश में कहा कि वोडाफोन का मामला ‘काफी प्राथमिक’ है और वह आयकर कानून के प्रावधानों के अनुरूप अपने कर्तव्यों के निर्वहन में संबंधित आकलन अधिकारी की पूर्ण उदासीनता और लापरवाही भरे रवैये को देखने के लिए विवश है।

आदेश में कहा गया है, ‘कानून के सख्त दायरे में काम करने की जिम्मेदारी जिन अधिकारियों को सौंपी गई है, उनकी ओर से किसी भी तरह की लापरवाही राजकोष को प्रभावित करती है और इसका देश की समृद्धि और आर्थिक स्थिरता पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है।’

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश की प्रति केंद्रीय वित्त मंत्रालय को भेजने का निर्देश देते हुए कहा, ”लापरवाही और सुस्ती के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए जिससे सरकारी खजाने और इस देश के नागरिकों को भारी नुकसान हुआ है।”

याचिका के अनुसार, आकलन अधिकारी Assessment Officer ने दिसंबर 2019 में आकलन वर्ष से संबंधित एक मसौदा आदेश पारित किया, जिसके खिलाफ कंपनी ने जनवरी 2020 में विवाद समाधान पैनल (डीआरपी) के समक्ष आपत्तियां दर्ज कीं। मार्च 2021 में, डीआरपी ने कुछ निर्देश जारी किए।

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