हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति दावा को बिना कोई कारण बताए खारिज करने के आदेश को किया ख़ारिज, नौकरी के शासनदेश पर माँगा जबाव-

Estimated read time 1 min read

कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार का आदेश उचित नहीं कहा जा सकता, जिसे जारी करने का पीछे का कारण न बताया जाए।

इलाहाबाद उच्च न्यायलय Allahabad High Court ने अनुकंपा नियुक्ति उम्मीदवारों Compassionate Appointment Employees को बड़ी राहत दी है। दरअसल अनुकंपा नियुक्ति Compassionate Appointment के मामले में हाईकोर्ट High Court ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि 6 सप्ताह के अंदर निर्णय लेते हुए आदेश जारी किए जाएं।

इसके साथ हाईकोर्ट ने कहा कि बिना कोई कारण बताए अनुकंपा नियुक्ति के दावे को खारिज नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति के दावा बिना कोई कारण बताए खारिज करने के आदेश को रद्द कर दिया है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि किसी भी निर्णय को लेने के पीछे उसका सार होता है। उसके कोई कारण होते है। बिना कारण बताए कोई भी आदेश जारी नहीं किया जा सकता है। वही हाई कोर्ट ने विश्वविद्यालय को छूट दी है कि 6 सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति खारिज करने का कारण दर्शाते हुए आदेश जारी किए जाएं।

न्यायमूर्ति एआर मसूदी ने याचिकाकर्ता नेहा मिश्रा की याचिका पर वकील विभु राय और धनंजय राय की दलीलों को सुना। इस दौरान हाईकोर्ट के वकील ने जल देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के प्रति इलाहाबाद विश्वविद्यालय में कर्मचारी थे। सेवाकाल के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। जिसके बाद पति की मृत्यु के 5 साल बाद अनुकंपा नियुक्ति के लिए पत्नी ने दावा किया था।

वही इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कार्यसमिति में 17 अगस्त 2021 को बैठक हुई थी। जिसमें अनुकंपा नियुक्ति के दावे को खारिज कर दिया गया। वकील का कहना है कि दवा किस वजह से खारिज किया गया। इसके पीछे का कोई कारण नहीं बताया गया है। वकील की ओर से तर्क दिया गया कि प्रवीण कुमार की मौत के बाद नियम के तहत संविदा नियुक्ति की मांग की गई थी।

ALSO READ -  सर्वोच्च न्यायालय ने कहा प्रचार पाने के परोक्ष उद्देश्य के लिए जनहित याचिका दायर करने को प्रवेश चरण में ही खारिज करके शुरुआत में ही खत्म करने की जरूरत है

जिसके बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा अनुकम्पा नियुक्ति के दावे को निरस्त किया गया था। हालांकि निरस्त के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई थी। कोर्ट ने मामले में गुण दोष पर राय व्यक्त करते हुए 6 सप्ताह में निर्णय लेने के आदेश जारी करते हुए कहा कि जल्द से जल्द इस मामले में आदेश को जारी किया जाए। जिसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय को 6 सप्ताह के अंदर निर्णय लेने के आदेश दिए है।

You May Also Like