नाबालिक का विवाह कराने पर हाई कोर्ट ने दिया पंडित के खिलाफ जांच का आदेश-

नाबालिक का विवाह कराने पर हाई कोर्ट ने दिया पंडित के खिलाफ जांच का आदेश-

विवाह के लिए न्यूनतम विधिक आयु पूरा न करने के बावजूद लड़के का विवाह करवाना पंडित जी को भारी पड़ गया।

विवाह की तय आयु से कम में एक लड़के का विवाह करवाना हिसार के एक पंडित को भारी पड़ गया है। मामला पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के संज्ञान में आने के बाद हाई कोर्ट ने हिसार के एसपी को पंडित के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर कोर्ट में रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। एसपी ने हाई कोर्ट में जवाब दायर कर कोर्ट को जानकारी दी कि पंडित के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है।

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले में पंचकूला के पुलिस कमिश्नर को जांच का आदेश दिया है और उनकी रिपोर्ट खिलाफ आने पर बाल विवाह निषेध अधिनियम में दंडात्मक कार्रवाई हो सकती है।

ज्ञात हो की एक प्रेमी जोड़े ने सुरक्षा की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका में बताया गया था कि गुरदासपुर के प्रेमी जोड़े ने पंचकूला के पिंजौर स्थित प्राचीन शिव मंदिर में विवाह किया था। उन्होंने परिवार के खिलाफ जाकर विवाह किया है और अब उनकी जान को खतरा है। इस खतरे के चलते उन्हें जान बचाने के लिए यहां-वहां शरण लेनी पड़ रही है।

उच्च न्यायलय को बताया गया कि उन्होंने 3 अक्तूबर को गुरदासपुर के एसएसपी को सुरक्षा से जुड़ा मांगपत्र भी दिया था, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ।

हाईकोर्ट ने याची के मांगपत्र को लेकर गुरदासपुर के एसएसपी को निर्णय लेने का आदेश दिया। इस दौरान हाईकोर्ट ने पाया कि लड़की की आयु 19 वर्ष है और वह विवाह के लिए निर्धारित आयु के अनुरूप सही है, लेकिन लड़के की आयु केवल 20 वर्ष है जो विवाह के लिए निर्धारित न्यूनतम आयु से कम है।

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बेंच ने कहा कि लड़की 18 वर्ष की हो चुकी है। ठीक है, लेकिन लड़के की आयु अभी 20 वर्ष है, वहीं अभी लड़का 21 वर्ष का नहीं हुआ है।

जस्टिस अरविंद सांगवान ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि लड़के की शादी को वैध नहीं माना जा सकता है, बल्कि यह विवाह तो विवाह कानून का उल्लंघन कर किया गया है।

हाईकोर्ट ने कहा कि विवाह पिंजौर में हुआ था, ऐसे में पंचकूला के पुलिस कमिश्नर इस मामले में पंडित की भूमिका की जांच करें। यदि यह पाया जाता है कि बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 का उल्लंघन किया गया है तो इसके प्रावधानों के अनुरूप आगे कानूनी कार्रवाई की जाए।

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