हाई कोर्ट का बड़ा निर्णय कहा, आपराधिक कानून को गणित की तरह लागू नहीं किया जा सकता, POCSO ACT में दी जमानत-

कोर्ट ने यह आदेश दो किशोरों द्वारा सामाजिक बंधनों को तोड़ने और प्रेम विवाह करने के मद्देनजर इस मामले को एक विशेष परिस्थिति मानते हुए दिया और उसके बाद पोक्सो अधिनियम POCSO ACT के तहत मामला दर्ज किया गया।

POCSO ACT पॉक्सो एक्ट को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने बड़ा फैसला लिया है। कोर्ट ने पॉक्सो एक्ट (Pocso Act) से जुड़े एक मामले में 5 लाख रुपए जमा करने की शर्त पर आरोपी को देने का फैसला लिया है। कोर्ट ने आरोपी को पीड़ित लड़की और उसके नाबालिग बच्चे के नाम पर बैंक ड्राफ्ट जमा करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि अपराध भले ही गंभीर है, लेकिन इसे सार्थक ढंग से लागू किया जाना चाहिए।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बेहद अहम फैसले में कहा है कि आपराधिक कानून को गणित की तरह लागू नहीं किया जा सकता है। कानून का इस्तेमाल सार्थक और बेहतरी के लिए किया जाना चाहिए। विदेशी नाबालिग लड़की से शादी करने के मामले में हाईकोर्ट ने आरोपी युवक को पॉक्सो एक्ट (Pocso Act) के तहत जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही शासकीय बाल गृह खुल्दाबाद में रहने वाली बच्ची को भी अपने नवजात बच्चे के साथ अपने पति (याचिकाकर्ता) के साथ जाने का आदेश दिया गया है।

न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी की एकल बेंच ने फतेहपुर खागा के अतुल मिश्रा की जमानत अर्जी विशेष परिस्थिति में स्वीकार करते हुए यह अहम आदेश दिया है। केस की सुनवाई में पूरा सहयोग करेंगे। ऐसा न करने पर निचली कोर्ट उसकी जमानत रद्द करने और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होगी। कोर्ट ने यह आदेश दो किशोरों द्वारा सामाजिक बंधनों को तोड़ने और प्रेम विवाह करने के मद्देनजर इस मामले को एक विशेष परिस्थिति मानते हुए दिया और उसके बाद पोक्सो अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया।

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जमानत का आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी (Justice Rahul Chaturvedi) की एकल पीठ ने दिया। कोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि किसी अपराध के खिलाफ कानून को गणित की तरह लागू नहीं किया जा सकता। कानून का इस्तेमाल सार्थक तरीके से और लोगों की बेहतरी के लिए किया जाना चाहिए. अगर गैर जिम्मेदार तरीके से इसे लागू किया जाता है तो पीड़िता को अपूरणीय क्षति हो सकती है।

कोर्ट ने कठोर पॉक्सो कानून की जरूरत बताई और कहा कि नाबालिग लड़की को यौनाचार के अपराध से संरक्षण देने के लिए इसकी जरूरत है।

बच्चे को माता-पिता के मातृत्व से दूर रखना कठिन-

याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि स्कूल में साथ पढ़ने वाले नाबालिगों ने अनजाने में नजदीकी बढ़ाई। प्रेम संबंध बनाए। साथ जीवन बिताने का फैसला किया और घर से भागकर शादी की। एक बच्चे का जन्म हुआ। बच्चे को माता-पिता के प्यार से दूर रखना कठोर निर्णय होगा. इससे नासमझ किशोरों का जीवन बर्बाद हो जाएगा। इस कार्रवाई से पारिवारिक परंपरा और जीवन मूल्यों को समझाने में विफल रहे नाबालिगों के माता-पिता को भी कुछ हासिल नहीं होगा।

कोर्ट ने अपराध की प्रकृति, सबूतों और विशेष स्थिति पर विचार करते हुए सशर्त जमानत की मंजूरी दे दी।

केस टाइटल – Atul Mishra vs State of UP & 3Ohers

केस नंबर – CRIMINAL MISC. BAIL APPLICATION No. – 53947 of 2021

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