प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट के चक्र में कैसे फसें सोनिया राहुल, क्या है ये कानून और इसके अधिकार क्षेत्र, जाने विस्तार से –

प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट के चक्र में कैसे फसें सोनिया राहुल, क्या है ये कानून और इसके अधिकार क्षेत्र, जाने विस्तार से –

मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट यानी PMLA के तहत ED केंद्र सरकार की अकेली जांच एजेंसी है, जिसे मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में नेताओं और अफसरों पर मुकदमा चलाने के लिए सरकार से अनुमति नहीं लेनी पड़ती है.

धन-शोधन निवारण अधिनियम, २००२ (Prevention of Money Laundering Act, 2002) के कारण ईडी ने कांग्रेस के दो सबसे बड़े नेता राहुल और सोनिया गांधी को पूछताछ के लिए समन जारी किया था. जाहिर है प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट के तहत नेशनल हेराल्ड केस (National Herald Case) में सोनिया और राहुल समेत कई नेता आरोपी हैं, जिसे कांग्रेसी तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिंदबरम ने साल 2005 में धारदार बनाकर कानून का शक्ल दिया था.

क्या है धन-शोधन निवारण अधिनियम, २००२-

धन-शोधन निवारण अधिनियम, २००२ (Prevention of Money Laundering Act, 2002) भारत के पार्लियामेंट PARLIAMENT द्वारा पारित एक अधिनियम act है जिसका उद्देश्य काले धन को सफेद BLACK MONEY INTO WHITE MONEY करने से रोकना है। इसमें धन-शोधन से प्राप्त धन को राज्यसात (ज़ब्त) करने का प्रावधान है। यह अधिनियम 1 जुलाई, 2005 से प्रभावी हुआ.

यह अधिनियम अवैध स्रोतों से और धन शोधन के माध्यम से अर्जित संपत्ति और/या संपत्ति को जब्त करने में सक्षम बनाता है।
Prevention of Money Laundering Act, 2002 में अब तक तीन बार संशोधन किये गए हैं, 2009, 2009 और 2012 में.
Prevention of Money Laundering Act, 2002 के तहत साबित करने का भार आरोपी पर होता है जिसे ही ये साबित करना होता है कि संदिघ्ध सम्पति या कैश अवैध नहीं है.

Prevention of Money Laundering Act, 2002 का मुख्य कार्य-

  • मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना.
  • अवैध गतिविधियों और आर्थिक अपराधों में काले धन के उपयोग को रोकना.
  • मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल या उससे प्राप्त संपत्ति को जब्त करना.
  • मनी लॉन्ड्रिंग के जुड़े अन्य प्रकार के संबंधित अपराधों को रोकने का प्रयास करना.
  • धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 के अंतर्गत अपराधों की जांच के लिए जिम्मेदार प्राधिकरण प्रवर्तन निदेशालय है.

पीएमएलए की फांस में कितने लोग फसें –

नेशनल हेराल्ड मामले जिसमें सोनिया और राहुल गांधी दोनों आरोपी हैं, वो इन दिनों खासे चर्चा में है. सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीज, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे पर घाटे में चल रहे नेशनल हेराल्ड अखबार NATIONAL HERALD NEWS PAPER को धोखाधड़ी और पैसों की हेराफेरी के जरिए हड़पने का आरोप लगाया गया था. इस मामले में संज्ञान लेते हुए मनी लॉन्ड्रिंग का केस अगस्त 2014 में ED ने दर्ज किया. दिसंबर 2015 में सोनिया, राहुल समेत सभी आरोपियों को जमानत पटियाला हाउस कोर्ट ने दे दी थी. ईडी इसी मामले की जांच के लिए सोनिया और राहुल को समन जारी कर पूछताछ कर रही है.

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कांग्रेस के हरियाणा के पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा पंचकुला लैंड केस में आरोपी हैं. हुड्डा पर आरोप है कि एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड यानी AJL को 64.93 करोड़ रुपए का प्लॉट 69 लाख 39 हजार रुपए में दिया था. ASSOCIATED JOURNAL LTD नेशनल हेराल्ड अखबार NATIONAL HERALD NEWS PAPER का प्रकाशन करता है. पंचकुला स्थित इस भूखंड को 2018 में ईडी ने कुर्क कर लिया है. तीसरे नेता कर्नाटक के डीके शिव कुमार हैं जिन्हें टैक्स चोरी और आय से अधिक संपत्ति के मामले में 3 सितंबर 2019 को गिरफ्तार किया गया था. पीएमएल की चपेट में आने वाले खुद पी चिदंबरम और उनके पुत्र कार्तिक चिदंबर भी हैं जिन्हें विदेशी निवेश के लिए रिश्वत लेने का आरोप का आरोप लगा है.

INX मीडिया को फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रोमोशन बोर्ड यानी FIPB से मंजूरी दिलाने में रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तारी भी हो चुकी है. सोनिया गांधी के दामाद और प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा से अब तक 15 बार से ज्यादा ईडी पूछताछ कर चुकी है. स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड के नाम की कंपनी के ऑनर वाड्रा पर बीकानेर में कौड़ियों के भाव में जमीन खरीद कर ऊंचे दाम पर बेचने का आरोप लगा था. दिवंगत नेता अहमद पटेल के बेटे फैसल और दामाद इरफान सिद्दीकी भी ईडी की चपेट में आ चुके हैं. गुजरात के कारोबारी चेतन और नितिन संदेसरा के खिलाफ स्टर्लिंग बायोटेक बैंक धोखाधड़ी मामले में दोनों को आरोपी बनाया जा चुका है. साल 2020 में ही ED ने अग्रसेन गहलोत जो कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशाोक गहलोत के भाई हैं, उनके खिलाफ केस दर्ज किया जा चुका है. इस कड़ी में अशोक कलमाडी समेत कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी भी फंस चुके हैं.

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मनी लॉन्ड्रिंग का मामला क्या और कैसे दर्ज होता है?

अवैध पैसे को वैध पैसा बनाने की प्रक्रिया को मनी लॉन्ड्रिंग कहते हैं. अवैध पैसा यानी ब्लैक मनी वो पैसा है, जिसकी कमाई के जरिया का पता नहीं होता है और इस कमाई के टैक्स की चोरी की जाती है. दूसरे शब्दों में कहें तो अवैध रूप से कमाए गए पैसे को छिपाने के लिए एक प्रक्रिया ढ़ूंढ़ी जाती है जिसे ईडी पकड़ने का काम करती है. मनी लॉन्ड्रिंग के तहत पैसे के सोर्स को छुपाया जाता है. ड्रग्स की तस्करी, भ्रष्टाचार, गबन या जुए से कमाया गए पैसे को लीगलाइज करने यानि की वैध करने की कवायद होती है जिसे ड्रग डीलर समेत बिजनेसमैन, भ्रष्ट अधिकारी, माफिया बखूबी अंजाम देते हैं.

ईडी कानून कब बना और चिदंबरम ने इसे धारदार कैसे बनाया?

पीएमएलए कानून को अटल सरकार में साल 2002 में बनाया गया था, जिसे मनमोहन सरकार के तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने साल 2005 में धारदार बनाकर लागू किया था. कानून बनाकर ईडी ED को किसी आरोपी को गिरफ्तार करने और उसकी संपत्ति जब्त करने के लिए परमिशन की जरूरत नहीं पड़ती है. मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट यानी PMLA के तहत ED केंद्र सरकार की अकेली जांच एजेंसी है, जिसे मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में नेताओं और अफसरों पर मुकदमा चलाने के लिए सरकार से अनुमति नहीं लेनी पड़ती है.

ED विशेष अधिकार के तहत रेड करने के अलावा आरोपियों की प्रॉपर्टी भी जब्त कर सकती है. ये बात और है कि प्रॉपर्टी का इस्तेमाल अगर आरोपी द्वारा किया जा रहा है तो उसे बेदखल नहीं किया जा सकता है. मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में आरोपी के लिए जमानत से पहले 2 शर्तों का पालन करना जरूरी होता है. जमानत अप्लाई करने पर कोर्ट सरकारी वकील की दलीलें भी सुनेगा ये सुनिश्चित किया जाता है. कोर्ट आश्वस्त होने पर कि आरोपी बाहर आने पर अपराध नहीं करेगा और जमानत मांगने वाला दोषी नहीं है, तो वह तभी जमानत पर विचार करता है. पीएमएलए में प्रवाधान है कि जांचकर्ता अफसर के सामने दिए गए बयान को सबूत माना जाएगा, जबकि बाकी मामलों में ऐसे बयान को अदालत सबूत नहीं मानती है.

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केन्द्रीय एजेंसियों में एनआईए और सीबीआई ईडी से अलग कैसे है?

नेशनल इंवेस्टिगेटिंग एजेंसी य NIA दूसरी केन्द्रीय एजेंसी हैं जिसे कानूनी ताकत NIA Act 2008 से मिलती है. NIA पूरे देश में कहीं भी बेरोकटोक काम कर सकती है, लेकिन एनआईए का दायरा सिर्फ और सिर्फ आतंक से जुड़े मामलों तक सीमित रहता है. सीबीआई CBI भी नेशनल एजेंसी NATIONAL AGENCY है जिसे दिल्ली पुलिस स्पेशल एस्टैब्लिशमेंट एक्ट 1946 के तहत बनाया गया है. किसी राज्य में सीबीआई प्रवेश करने के लिए सरकार से अनुमति मांगती है. जांच अगर अदालत के आदेश पर हो रही होती है तब सीबीआई कहीं भी पूछताछ और गिरफ्तारी कर सकती है. करप्शन के मामलों में अफसरों पर मुकदमा चलाने के लिए भी CBI को उनके डिपार्टमेंट से भी अनुमति लेनी पड़ती है.

साल 2020 में 8 राज्यों ने सीबीआई को अपने इलाके में काम करने से रोक दिया था, जिसमें पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, केरल और मिजोरम शामिल हैं. जाहिर है कि इन वजहों से ईडी को मिले कानून में विशेष ताकत की वजह से ईडी की चर्चा सबके जुबान पर है और इसी कानून के तहत कई दिग्गज ईडी ED की चपेट में हैं, जिनमें ताजा मामले में राहुल गांधी और सोनियां गांधी का नाम शामिल है.

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