अप्राकृतिक सेक्स: सहमति है तो अपराध नहीं, पत्नी की इच्छा के विरुद्ध हो तो धारा 377 के तहत दंडनीय — इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया है कि यदि बालिग पत्नी की सहमति से पति द्वारा अप्राकृतिक यौन संबंध बनाए जाते हैं, तो इसे भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 के तहत अपराध नहीं माना जाएगा। लेकिन बिना सहमति या जबरदस्ती ऐसा संबंध बनाया जाए, तो यह न केवल धारा 377 के तहत अपराध है बल्कि दहेज उत्पीड़न का भी मामला बनता है।
यह फैसला न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने इमरान खान उर्फ अशोक रत्न की याचिका खारिज करते हुए दिया। याचिका में पति ने आपराधिक कार्यवाही रद्द करने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि पत्नी की इच्छा के विरुद्ध अप्राकृतिक सेक्स करना दहेज उत्पीड़न की श्रेणी में क्रूरता मानी जाएगी और इसका मुकदमा जारी रहेगा।
🔹 महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ:
- मेडिकल जांच से इनकार करना अभियोजन को रद्द करने का आधार नहीं हो सकता।
- पत्नी के बयान में दर्शाई गई क्रूरता दहेज उत्पीड़न के लिए पर्याप्त है।
- IPC की धारा 377 को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में सीमित रूप में असंवैधानिक ठहराया गया है — केवल दो बालिगों की आपसी सहमति से संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर किया गया है।
🔹 कोर्ट की टिप्पणियाँ — सेक्स की परिभाषा पर:
- “स्त्री-पुरुष का यौन संबंध नैसर्गिक (प्राकृतिक) है। अन्य सभी तरीके नैसर्गिक नहीं माने जाते।”
- समलैंगिक संबंधों में सहमति से अप्राकृतिक यौन संबंध अब नैसर्गिक की श्रेणी में आते हैं, यह परिभाषा भारत समेत वैश्विक स्तर पर स्वीकार की जा चुकी है।
🔹 मामले की पृष्ठभूमि:
प्रयागराज के शिवकुटी थाना क्षेत्र में पत्नी द्वारा पति के खिलाफ दहेज मांगने और जबरन अप्राकृतिक सेक्स करने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई थी। आरोपी की ओर से दलील दी गई थी कि दोनों पति-पत्नी हैं और दहेज की कोई स्पष्ट मांग नहीं की गई है, इसलिए मामला रद्द किया जाए।
कोर्ट ने इन तर्कों को भ्रामक मानते हुए साफ कहा कि पत्नी की मर्जी के खिलाफ यौन हिंसा को पति-पत्नी के रिश्ते की आड़ में छिपाया नहीं जा सकता।
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