सुप्रीम कोर्ट का अहम निर्णय कहा: हत्या के मामले में मकसद का ना होना आरोपी के हक में-

सुप्रीम कोर्ट का अहम निर्णय कहा: हत्या के मामले में मकसद का ना होना आरोपी के हक में-

Supreme Court Key Verdict in Murder Case: सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा सुनाए गए आदेश को खारिज कर दिया। मामले में दोषी ठहराने और उम्रकैद की सजा सुनाने के निचली अदालत के आदेश को आरोपी ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, लेकिन उसकी याचिका को खारिज कर दिया गया था। उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई थी।

शीर्ष न्यायालय ने वर्ष 1997 के एक हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा पाने वाले एक व्यक्ति को बरी करते हुए कहा है कि मकसद का ‘‘पूर्ण अभाव’’ होना निश्चित रूप से आरोपी के पक्ष में जाता है।

न्यायमूर्ति यू यू ललित, न्यायमूर्ति एस आर भट और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने साथ ही यह टिप्पणी भी की कि इसका अर्थ यह नहीं है कि मकसद के अभाव में अभियोजन के मामले को खारिज कर दिया जाना चाहिए।

पीठ ने 2014 में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा सुनाए गए आदेश को खारिज कर दिया। मामले में दोषी ठहराने और उम्रकैद की सजा सुनाने के निचली अदालत के आदेश को आरोपी ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, लेकिन उसकी याचिका को खारिज कर दिया गया था। उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट पीठ ने 25 फरवरी के अपने आदेश में कहा, ‘‘ऐसा नहीं है कि केवल (आरोपी का) मकसद एक अहम कड़ी होता है, जिसे अभियोजन को साबित करना होता है। उसके अभाव में अभियोजन का मामला खारिज नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसके साथ ही मकसद का पूर्ण अभाव मामले को नया रूप देता है और इसकी अनुपस्थिति निश्चित ही आरोपी के पक्ष में जाती है।’’

ALSO READ -  शादी का झांसा देकर जमानत मांगने वाले आरोपी पर गुजरात हाईकोर्ट ने ₹1 लाख का जुर्माना लगाया-

अभियोजन के अनुसार, एक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उसका बेटा 13 जनवरी, 1997 के बाद से लापता है, जिसके आधार पर मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद, 17 जनवरी, 1997 को एक तालाब से व्यक्ति के बेटे का शव मिला था और मामले को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302(हत्या) के रूप में बदल दिया गया था।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट से कहा था कि यह मामला परिस्थितिजन्य सबूतों पर आधारित है, और अभियोजन ने हत्या के पीछे नंदू सिंह का कोई मकसद नहीं बताया है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता नंदू सिंह को मामले में गिरफ्तार किया गया था और ऐसा बताया गया है कि उसके बयान के आधार पर कई साक्ष्य सामने आए।

Translate »
Scroll to Top