शीर्ष न्यायालय Supreme Court का न्यायाधीश और वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री बनकर अधिकारियों को वाट्सएप Whats app पर कॉल करने और धोखाधड़ी Fraud करने वाले गिरोह के दो शातिर ठगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी उत्तराखंड पुलिस, एसटीएफ और स्थानीय नोएडा पुलिस के सहयोग से शनिवार देर रात नोएडा उत्तर प्रदेश से हुई है।
गिरफ्तार ठगों की पहचान पंजाब निवासी मनोज कुमार और राजीव अरोड़ा के रूप में हुई है। दोनों आरोपित वर्तमान में नोएडा के अलग-अलग सेक्टरों में रह रहे थे। दोनों अभियुक्तों पर दिल्ली के कई थानों में धोखाधड़ी के मुकदमे दर्ज हैं।
सेक्टर-49 नोएडा कोतवाली प्रभारी यशपाल धामा ने बताया कि आरोपितों को सेक्टर-50 से दबोचा गया। गिरफ्तारी में स्थानीय पुलिस ने पूरा सहयोग किया। आरोपितों ने जज बनकर सचिवालय में तैनात एक वरिष्ठ आइएएस अधिकारी को वाट्सएप पर काल किया था।
संदेह पर तत्काल कोतवाली पुलिस और एसटीएफ को संबंधित नंबर की जांच के आदेश दिए गए। जब नंबर को ट्रेस किया गया तो आरोपितों की लोकेशन नोएडा में मिली। पूछताछ के दौरान आरोपितों ने बताया कि हम लोग पहले लोगों को फर्जी वीजा के जरिये विदेश भेजते थे।
एसटीएफ देहरादून द्वारा थाना कोतवाली पर सूचना दी गई थी कि देहरादून में एक गिरोह सक्रिय है, जो उच्चतम न्यायालय के जज की फोटो अपने मोबाइल की डीपी पर लगा कर भारत सरकार के मंत्रालयों एवं राज्य सरकार के मंत्रालयों एवं विभिन्न सीनियर अफसरों को अपने प्रभाव में लेकर आम लोगों से काम करवाने के एवज में ठगी करने का प्रयास कर रहे हैं |
गिरफ्तार अभियुक्तों ने बताया की फर्जी वीजा मामले में दूतावास की शिकायत पर हम जेल चले गए। वहां से आने के बाद हमने एक प्राइवेट लिमिटेड पान मसाला की कंपनी खोली, जिसमें टैक्स चोरी में हम फिर जेल पहुंचे। जेल से आने के बाद हमारी मुलाकात गीता प्रसाद नाम की महिला से हुई।
उसने बताया कि देहरादून में एक जमीन खाली करानी है। इसी काम को लेकर आरोपितों ने सचिवालय में तैनात एक वरिष्ठ आइएएस अधिकारी को फोन कर मिलने का समय लिया।
बातचीत करने की शैली से अधिकारी को आरोपित के ऊपर शक हुआ और उन्होंने इसकी जानकारी संबंधित कोतवाली पुलिस सहित अन्य जगहों पर दी। इसी क्रम में दोनों को दबोच लिया गया।
देहरादून में शातिरों ने भूमाफिया से मिल कर दोनों आरोपियों ने उत्तराखंड सचिवालय में वरिष्ठ आईएएस (IAS) को भी निशाना बनाया | दोनों आरोपियों ने अधिकारी से मुलाकात भी की थी | इन दोनों का मकसद जमीन के मामलों में ठगी करने की थी | जमीन को खाली करवाने के लिए दोनों आरोपियों को भूमाफिया से करीब 50 लाख रुपए मिलने वाले थे, मगर उससे पहले दोनों आरोपियों को पुलिस ने अरेस्ट कर लिया | दोनों पर दिल्ली में भी कई मुकदमे दर्ज हैं |
प्राप्त सूचना पर थाना कोतवाली नगर में मुकदमा दर्ज किया गया और इसके बाद गठित टीम ने जांच-पड़ताल करने पर पाया कि नोएडा एवं दिल्ली के आसपास एक ऐसा गिरोह सक्रिय है, जो जज-अफसर व वरिष्ठ मंत्री के पद एवं नाम का उपयोग कर और उनके फोटो को अपने मोबाइल की डीपी पर लगा कर और अपना मोबाइल नम्बर पर ट्रू कॉलर पर भी उनके ही नाम रजिस्ट्रेशन करता है | इस गिरोह ने कई लोगों से काम करवाने के बदले में मोटी धनराशि भी ली है |