राज्य के आपत्ति जताने भर से ही आरोपी व्यक्ति के अंतरिम जमानत को रोक नहीं सकते, जानें सर्वोच्च न्यायालय ने ऐसा क्यों कहा?

राज्य के आपत्ति जताने भर से ही आरोपी व्यक्ति के अंतरिम जमानत को रोक नहीं सकते, जानें सर्वोच्च न्यायालय ने ऐसा क्यों कहा?

देश के शीर्ष अदालत ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि यदि राज्य द्वारा अग्रिम जमानत देने पर आपत्ति लगाई जाती है तो भी किसी आरोपी को अग्रिम जमानत देने से इंकार नहीं किया जा सकता हैं. जानिए पूरा मामला विस्तार से …

Anticipatory Bail : सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अंतरिम जमानत पर एक बड़ा आदेश दिया है. सर्वोच्च न्यायालय Supreme Court ने कहा कि केवल राज्य द्वारा आपत्ति जताने भर से ही किसी आरोपी को अंतरिम जमानत Anticipatory Bail देने से इंकार नहीं किया जा सकता हैं. राज्य को बताना होगा कि आरोपी को हिरासत Custody of Accused में रखने से जांच में कैसे मदद पहुंचेगी. हालांकि, मामले में कोर्ट ने पहले से जांच में सहयोग करने के आधार पर आरोपी को जमानत दे दी है.

राज्य को क्यों चाहिए आरोपी की कस्टडी?

न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की डिवीजन बेंच ने इस मामले को सुना है. बेंच ने कहा कि व्यक्ति को हिरासत में रखने के लिए राज्य को ठोस कारण बताने होंगे. राज्य द्वारा आपत्ति जताने भर से ही किसी व्यक्ति को अंतरिम जमानत की राहत देने पर रोक नहीं लगाई जा सकती हैं.

बेंच ने कहा-

“इसमें दो राय नहीं है कि पूछताछ, किसी अपराध में जांच के प्रभावी तरीकों में से एक हैं. “

सुप्रीम कोर्ट ने कहा. राज्य इस आधार पर अग्रिम जमानत याचिका का विरोध नहीं कर सकती हैं. उसे आरोपी व्यक्ति को पूछताछ करने के लिए हिरासत में रखने की जरूरत हैं.

बेंच ने आगे कहा-

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“यह भी उतना ही सच है कि अगर पूछताछ की जरूरत नहीं है, तो भी ये बात गंभीर प्रकृति के अपराध में जमानत देने का आधार नहीं बन सकता हैं.”

मामला संक्षेप में-

व्यक्ति पर मुकदमा दर्ज हुआ. ये मुकदमा आईपीसी से सेक्शन 419, 465, 471 और 120-बी के साथ-साथ प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के सेक्शन -7 (सी) के तहत दर्ज हुआ है. आरोपी ने अग्रिम जमानत की मांग की. ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट ने उसकी ये मांग खारिज कर दी. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां कोर्ट ने व्यक्ति को अग्रिम जमानत दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्ति द्वारा पहले से जांच में सहयोग करने के आधार पर अग्रिम जमानत दे दी.

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