लोकसभा में ‘जन विश्वास बिल’ पारित, 42 कानूनों से संबंधित कई दंड को जुर्माने में बदलने का प्रावधान, न्यायपालिका होगी बोझमुक्त, जाने विस्तार से –

लोकसभा में ‘जन विश्वास बिल’ पारित, 42 कानूनों से संबंधित कई दंड को जुर्माने में बदलने का प्रावधान, न्यायपालिका होगी बोझमुक्त, जाने विस्तार से –

Jan Vishwas Bill 2023: लोकसभा ने गुरुवार को जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2022 पारित कर दिया। विधेयक में कई क्षेत्रों में 42 कानूनों से संबंधित कई जुर्माने को दंड में बदलने का प्रावधान है। सजा देने के लिए अदालती अभियोजन आवश्यक नहीं होगा, कई अपराधों के लिए सजा के रूप में कारावास भी हटा दिया जाएगा। केंद्र द्वारा 19 मंत्रालयों को 42 कानूनों में पुराने प्रावधानों को हटाने के लिए कहने के बाद यह कानून पारित किया गया था। यह बिल पिछले साल दिसंबर में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में पेश किया था।

प्रमुख बातें-

  • केंद्र द्वारा 19 मंत्रालयों को 42 कानूनों में पुराने प्रावधानों को हटाने के लिए कहने के बाद यह कानून पारित किया।
  • यह बिल पिछले साल दिसंबर में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में पेश किया था।
  • केंद्र सरकार के मुताबिक नए कानून से न्यायपालिका और जेलों पर बोझ कम होगा।

इस जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2022 के जरिए कारोबारियों को बड़ी राहत मिलेगी, कई ऐसे कानूनों में बदलाव होगा जिनमें सजा का प्रावधान था। इनमें सजा की जगह अब जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

इन अधिनियमों में हुआ संसोधन-

जिन अधिनियमों में संशोधन किया जा रहा है उनमें औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940; सार्वजनिक ऋण अधिनियम, 1944; फार्मेसी अधिनियम, 1948; सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952; कॉपीराइट अधिनियम, 1957; पेटेंट अधिनियम, 1970; पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986; और मोटर वाहन अधिनियम, 1988।

न्यायपालिका और जेलों पर कम पड़ेगा बोझ-

मिडिया सूत्रों की रिपोर्ट के अनुसार, 20 मार्च को पेश की गई संसदीय पैनल की रिपोर्ट में कहा गया है कि छोटे अपराधों को अपराधमुक्त करने से “न्यायपालिका और जेलों पर बोझ कम होगा”, जबकि व्यवसाय करना आसान हो जाएगा और साथ ही व्यक्तियों का जीवन भी आसान हो जाएगा। इसमें कहा गया है, “प्रस्तावित संशोधनों में से कुछ छोटे अपराधों से निपटने के लिए उपयुक्त न्यायनिर्णयन तंत्र पेश कर रहे हैं, जहां भी लागू हो और संभव हो। यह न्यायपालिका पर बोझ को कम करने, अदालतों को मुक्त करने और कुशल न्याय वितरण में मदद करने में काफी मदद करेगा।”

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