झारखंड हाईकोर्ट ने कहा है कि ऐसा प्रतीत होता है कि पटना पुलिस ने वकील की किडनैपिंग की है साथ ही एसएसपी पटना और रांची व बिहार के गृह सचिव को जवाब तलब किया है-
झारखंड हाईकोर्ट के वकील और सरकार के अपर लोक अभियोजक रजनीश वर्धन की पटना पुलिस द्वारा गिरफ्तारी पर कोर्ट ने कहा है कि ऐसा लगता है पटना पुलिस ने वकील का अपहरण किया है ।
झारखंड हाईकोर्ट ने पटना पुलिस की कार्यशैली पर सख्त नाराजगी जाहिर की है ।
जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने सुनवाई करते हुए पटना पुलिस को फटकार लगाईं है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा है कि क्यों न दोषी पुलिसकर्मियों पर प्राथमिकी दर्ज की जाए।
झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता रजनीश वर्धन को बिहार पुलिस द्वारा बिना सूचना दिए गिरफ्तार करने के मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने पटना के एसएसपी और रांची एसएसपी से जवाब मांगा है।
अदालत ने इन दोनों से पूछा है कि जब अधिवक्ता को देर रात उनके आवास से गिरफ्तार किया गया तो पूरी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन क्यों नहीं किया गया। किन स्थितियों में ऐसा किया गया।
बता दें कि झारखंड हाई कोर्ट में छुट्टी चल रही है। लेकिन इसके बावजूद भी इस मामले के लिए कोर्ट खुला और सुनवाई भी हुई।
जानिए कोर्ट ने क्या कहा–
न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मामले की सुनवाई की। इसमें पटना के एसएसपी, दानापुर के एसपी और रांची के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को उपस्थित होने को कहा है। इस दौरान खंडपीठ ने दोनों से पूछा की अधिवक्ता की गिरफ्तारी हुई है या नहीं। इस पर दोनों की ओर से सकारात्मक जवाब ना मिलने पर अदालत ने नाराजगी जाहिर की।
अदालत ने इस मामले में बिहार के गृह सचिव को भी प्रतिवादी बनाए जाने का निर्देश दिया है। मामले में अगली सुनवाई 25 नवंबर को होगी। गिरफ्तार किए गए अधिवक्ता झारखंड हाई कोर्ट में एपीपी हैं। इस संबंध में अधिवक्ता की पत्नी श्वेता प्रियदर्शनी की ओर से सोमवार झारखंड हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि रविवार की रात 10:30 बजे पुलिस उनके आवास पहुंची और उनके पति रजनीश को अपने साथ ले गई। उन्होंने इसके बारे में जानकारी मांगी, लेकिन पुलिस ने उन्हें जानकारी नहीं दी।
सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि याचिका दाखिल होने के बाद पटना पुलिस ने वकील को छोड़ दिया है। सुनवाई के दौरान दानापुर एएसपी और रांची एसएसपी ऑनलाइन जुड़े थे। अदालत ने एएसपी दानापुर से पूछा कि जब वकील को गिरफ्तार किया गया तो उन्हें ट्रांजिट रिमांड के लिए मजिस्ट्रेट कोर्ट में क्यों नहीं पेश किया गया। ऐसा नहीं करने पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी भी जताई।
गृह सचिव, एसएसपी से पूछा, क्यों हुई गिरफ्तारी–
खंडपीठ ने बिहार के गृहसचिव व एसएसपी से पूछा है कि वे बताएं कि किस परिस्थिति में अधिवक्ता काे देर रात गिरफ्तार किया गया। सुनवाई के दाैरान रांची एसएसपी व पटना के एएसपी से पूछा कि जब वकील काे गिरफ्तार किया गया ताे उन्हें ट्रांजिट रिमांड के लिए मजिस्ट्रेट काेर्ट में क्याें नहीं पेश किया गया।
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