जोधपुर हाईकोर्ट परिसर में 10 वर्षों से फर्जी वकील बनकर कर रहे थे प्रैक्टिस, पिता-पुत्री को पकड़ा गया

जोधपुर हाईकोर्ट परिसर में 10 वर्षों से फर्जी वकील बनकर कर रहे थे प्रैक्टिस, पिता-पुत्री को पकड़ा गया

जोधपुर हाईकोर्ट परिसर में 10 वर्षों से फर्जी वकील बनकर कर रहे थे प्रैक्टिस, पिता-पुत्री को पकड़ा गया

जोधपुर  – राजस्थान के जोधपुर स्थित पुराने हाईकोर्ट परिसर से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक व्यक्ति और उसकी बेटी पिछले लगभग दस वर्षों से फर्जी वकील के तौर पर न केवल कोर्ट में पेश हो रहे थे, बल्कि सक्रिय रूप से वकालत भी कर रहे थे। मंगलवार को हाईकोर्ट परिसर में ही इन दोनों को फर्जीवाड़े के आरोप में पकड़ा गया और अब इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की जा रही है।

वकील की ड्रेस पहनकर कर रहे थे पक्षकारों की पैरवी

प्राप्त जानकारी के अनुसार, आरोपी पिता-पुत्री लंबे समय से वकील की पोशाक पहनकर हाईकोर्ट परिसर में आते रहे और पक्षकारों की ओर से मुकदमों की पैरवी करते रहे। आरोप है कि दोनों के पास न तो बार काउंसिल से वैध नामांकन था, न ही उनके पास किसी विधि विश्वविद्यालय से एलएलबी की प्रमाणिक डिग्री। इसके बावजूद उन्होंने वर्षों तक खुद को अधिवक्ता बताकर जनहित और निजी वादों में अधिवक्ताओं की तरह पेश किया।

अंदरूनी सूचना पर हुआ खुलासा

यह फर्जीवाड़ा तब सामने आया जब बार काउंसिल ऑफ राजस्थान और कोर्ट स्टाफ को संदेह हुआ कि संबंधित व्यक्ति और उसकी बेटी की शैक्षणिक और पेशेवर पृष्ठभूमि संदिग्ध है। आंतरिक जांच और रिकॉर्ड सत्यापन के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि इन दोनों ने कोई विधिक डिग्री नहीं ली थी, और न ही वे बार काउंसिल के नामांकित अधिवक्ता थे

जांच के आदेश, नाम और रिकॉर्ड की छानबीन

हाईकोर्ट प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए, संबंधित पुलिस एवं न्यायिक अधिकारियों को तत्काल जांच के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही बार काउंसिल ऑफ इंडिया को भी सूचित किया गया है, ताकि इस तरह की धोखाधड़ी को अन्यत्र भी रोका जा सके।

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संभावित धाराएं और दंडात्मक प्रावधान

फर्जी अधिवक्ता बनकर न्यायालय में प्रैक्टिस करना भारतीय दंड संहिता (IPC) की कई धाराओं के तहत गंभीर अपराध है। आरोपियों पर आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), धारा 417 (झूठ बोलकर लाभ उठाना), धारा 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और अन्य संबंधित प्रावधानों के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है।

इसके अतिरिक्त, यह मामला Contempt of Court (न्यायालय की अवमानना) से भी जुड़ सकता है, क्योंकि झूठी जानकारी और पहचान के आधार पर न्यायिक प्रक्रिया में भाग लेना अदालत की गरिमा को क्षति पहुँचाता है।

बार काउंसिल की प्रतिक्रिया

राजस्थान बार काउंसिल के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा, “यह एक अत्यंत गंभीर और निंदनीय मामला है। ऐसे तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी ताकि न्यायिक प्रक्रिया की पवित्रता बनी रहे और अधिवक्ता समुदाय की प्रतिष्ठा को कोई आंच न आए।”

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