जज रिश्वत कांड: निलंबित न्यायाधीश सुधीर परमार ने रिश्तेदारों के नाम पर 5 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति की अर्जित

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मामले की जांच के दौरान यह बात सामने आई कि आईआरईओ और एम3एम ने कथित तौर पर 400 करोड़ रुपये की हेराफेरी की है।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जज रिश्वत कांड में बड़ा खुलासा किया है कि निलंबित न्यायाधीश सुधीर परमार ने रिश्तेदारों के नाम पर 5 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति अर्जित की। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में लाभ लेने के लिए उन्हें रिश्वत दी गई थी।

ईडी ने बुधवार को रिश्वत की रकम की कड़ियां जोड़ते हुए पंचकूला में एक विशेष अदालत को बताया कि गुरुग्राम में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश के तौर पर तैनात रहते हुए, सुधीर परमार ने ‘अपने पद का दुरुपयोग किया’। एम3एम समूह में कानूनी सलाहकार के रूप में अपने भतीजे अजय परमार की नियुक्ति कराने के लिए वह आईआरईओ और एम3एम समूह के मालिकों के संपर्क में आये। जब उनका तबादला स्पेशल जज सीबीआई/ईडी के तौर पर हुआ, तो उनके भतीजे का सालाना पैकेज 12 लाख से बढ़कर 18-20 लाख रुपये हो गया।

ईडी ने 2021 में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आईआरईओ IRED के एमडी ललित गोयल को गिरफ्तार किया था। ईडी ED ने कहा कि उसने 14 जनवरी, 2022 को अभियोजन शिकायत दर्ज की और न्यायाधीश सुधीर परमार ने 21 जनवरी, 2022 को इसका संज्ञान लिया, लेकिन डेढ़ साल बाद भी उन्होंने आरोप तय नहीं किये। उधर, मामले की जांच के दौरान यह बात सामने आई कि आईआरईओ और एम3एम ने कथित तौर पर 400 करोड़ रुपये की हेराफेरी की है।

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इस बीच, एम3एम निदेशकों द्वारा जनवरी 2022 की तुलना में अगस्त 2022 में अजय परमार का वेतन लगभग दोगुना कर दिया गया। अजय के आयकर रिटर्न में 2020-21 में 2.64 लाख रुपये से 2021-22 में 9 लाख रुपये तक का उछाल देखा गया। इसके अलावा, उन्हें अगस्त 2022 से फरवरी 2023 के बीच आर साई ट्रांसपोर्ट कंपनी से 40 लाख रुपये मिले। उन्होंने 41 लाख रुपये अपनी मां पुष्पा देवी को ट्रांसफर किए।

उनके भाई परमवीर सिंह परमार को भी जुलाई 2022 से जनवरी 2023 के बीच आर साई ट्रांसपोर्ट कंपनी से 36 लाख रुपये मिले। उन्होंने भी यह राशि और 3.45 लाख रुपये अपनी मां को ट्रांसफर किये। पुष्पा देवी को अगस्त 2022 से मार्च 2023 तक आर साई ट्रांसपोर्ट कंपनी से 54 लाख रुपये मिले। ईडी ने कहा, ‘एक बुजुर्ग महिला को छह महीने की छोटी अवधि में इतनी बड़ी रकम नहीं मिल सकती।’

उसके बाद उनके नाम पर सेक्टर-82, गुरुग्राम में एक प्लॉट खरीदा गया, जिसकी रजिस्ट्री 1.8 करोड़ रुपये सर्कल रेट पर हुई, लेकिन बाजार मूल्य 4.25 करोड़ से 5.42 करोड़ रुपये था।

पूछताछ के दौरान, आर साई ट्रांसपोर्ट कंपनी के मालिक रोहित सिंह तोमर ने स्वीकार किया कि वह पिछले 7-8 वर्षों से जज सुधीर परमार को जानते थे और दावा किया कि 1.3 करोड़ रुपये बिना ब्याज ‘फ्रेंडली लोन’ के रूप में दिए थे। लोन वापसी शुरू नहीं हुई और कोई सिक्योरिटी भी नहीं ली गयी थी।

यह भी सामने आया कि अजय परमार ने तोमर के साथ मिलकर पटौदी रोड, गुरुग्राम में 1 करोड़ रुपये में 1.25 एकड़ कृषि भूमि खरीदी। हालांकि, ईडी का दावा है कि बाजार मूल्य इससे काफी अधिक है। ईडी ने कोर्ट को बताया कि अजय परमार को कानूनी जानकारी बहुत कम है और पूछे जाने पर उन्होंने सभी सवालों के गलत जवाब दिए। उनके घर की तलाशी के दौरान आर साई लॉजिस्टिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड Sai Logistics India Pvt Ltd के तीन खाली लिफाफे मिले, जिनमें संभवत: कैश दिया गया था। इनमें से एक पर ‘4 लाख’ और दूसरे पर ‘500000’ लिखा हुआ था।

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ललित गोयल 2 दिन के रिमांड पर-

आईआरईओ समूह के ललित गोयल और एम3एम के प्रमोटरों को लाभ पहुंचाने के आरोप में एंटी करप्शन ब्यूरो, हरियाणा की 17 अप्रैल की एफआईआर के आधार पर ईडी ने 13 जून को जज सुधीर परमार, उनके भतीजे अजय, एम3एम के प्रवर्तकों में से एक रूप बंसल और अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया था। ललित गोयल को ईडी ने 4 जुलाई को गिरफ्तार किया था और बुधवार को कोर्ट ने उनका 2 दिन का रिमांड मंजूर कर लिया।

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