पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार के लिए सूचीबद्ध, याचिका पर जस्टिस बी.आर. गवई की बेंच ने की तीखी टिप्पणी
नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट: पश्चिम बंगाल में हालिया हिंसक घटनाओं और बिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन द्वारा राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज (मंगलवार, 16 अप्रैल 2025) को सुनवाई करेगा। याचिकाकर्ता ने राज्य में अर्धसैनिक बलों की तत्काल तैनाती और हिंसा की न्यायिक निगरानी में जांच कराने की भी प्रार्थना की है।
याचिका का उल्लेख सोमवार को न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति एस. वी. एन. भट्टी की पीठ के समक्ष किया गया। याचिकाकर्ता जैन ने कहा कि यह मामला पहले से लंबित है और मंगलवार के लिए सूचीबद्ध है। उन्होंने राज्य में हालिया घटनाओं के आलोक में एक अतिरिक्त आवेदन भी दाखिल किया है।
जस्टिस गवई की टिप्पणी: “हम पर पहले ही कार्यपालिका में अतिक्रमण के आरोप लग रहे हैं”
जब अधिवक्ता ने राष्ट्रपति शासन लागू करने हेतु तत्काल हस्तक्षेप की मांग की, तब न्यायमूर्ति बी. आर. गवई ने व्यंग्यपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा:
“आप चाहते हैं कि हम राष्ट्रपति को यह आदेश देने के लिए रिट जारी करें? वैसे भी हम पर कार्यपालिका में अतिक्रमण करने के आरोप लग रहे हैं।”
इस टिप्पणी को हाल ही में विधायी कार्यों—विशेष रूप से वक्फ (संशोधन) अधिनियम जैसे विषयों—में न्यायपालिका की भूमिका पर बढ़ती सार्वजनिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाओं की पृष्ठभूमि में देखा जा रहा है।
याचिका की प्रमुख मांगें:
- पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन (या अनुच्छेद 356) लागू करने की अनुशंसा
- अर्धसैनिक बलों की तत्काल तैनाती
- राज्य में हुई हालिया हिंसा की जांच तीन सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की निगरानी में कराना
- राज्यपाल से तथ्यात्मक रिपोर्ट तलब करना
- हिंसा के कारण हिंदू समुदाय के कथित पलायन पर तथ्य जुटाना
पृष्ठभूमि में लंबित है “पोस्ट-पोल वायलेंस” याचिका
विष्णु शंकर जैन की एक पूर्ववर्ती याचिका पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनावों के पश्चात हुई हिंसा को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, जिस पर वर्ष 2022 में नोटिस जारी किया गया था। जैन ने कहा कि नवीन घटनाओं को उसी मामले से जोड़ते हुए उन्होंने यह अतिरिक्त आवेदन प्रस्तुत किया है।
Leave a Reply