इलाहाबाद उच्च न्यायालय और खण्डपीठ लखनऊ के दर्जनों अधिवक्ताओं ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर हाईब्रिड मोड में सुनवाई व्यवस्था लागू करने की मांग की है।
एक तरफ जहां हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के महासचिव के मार्फत मुख्य न्यायाधीश को भेजे गए पत्र में न्याय प्रशासन में व्याप्त कुप्रबंध पर सवाल खड़े किए गए हैं।
वहीं अवध बार एसोसिएशन लखनऊ के अध्यक्ष और महासचिव ने भी उक्त विषय पर कार्यकारिणी की बैठक कर अपनी आवाज बुलंद की है
अधिवक्ताओं का कहना है कि सुनवाई के दौरान टल गए नए केस अनिश्चितता के भंवर में उलझ कर रह गए हैं। कोरोना काल में बड़ी मुश्किल से मिल रहे काम की रिपोर्टिंग की लचर स्थिति परेशानी बढ़ा रही है।
बोल, वर्चुअल सुनवाई में वकीलों को ठीक से नहीं मिल पाता बहस का अवसर–
अधिवक्ताओं ने कहा कि वर्चुअल सुनवाई में वकीलों को ठीक से बहस करने का अवसर नहीं मिल पा रहा है। इससे उन्हें अपमानित होना पड़ रहा है। वकीलों ने कहा कि उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो रही है। वे वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं। समय से न्याय न मिल पाने के कारण वादकारियों का न्याय व्यवस्था से भरोसा उठता जा रहा है। इस स्थिति का अनुचित फायदा एजेंसियां उठाने में कामयाब हो रही है।
हाईब्रिड मोड में सुनवाई व्यवस्था की मांग की–
पूर्व संयुक्त सचिव प्रशासन संतोष कुमार मिश्र, ऋतेश श्रीवास्तव सहित दर्जनों वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश से न्यायिक कार्य को ट्रैक पर वापस लाने की गुहार लगाई है। कहा कि हाईब्रिड मोड में सुनवाई व्यवस्था लागू की जाए। अन्यथा वकीलों के पास आमरण अनशन करने को मजबूर होंगे। पत्र में हस्ताक्षर करने वाले वकीलों में डीके यादव, राजेश कुमार त्रिपाठी, अमित कुमार मिश्र, विनोद मिश्र, शशि भूषण राय, केएन सिंह, जनार्दन यादव कई अधिवक्ता शामिल हैं।
हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष को लिखा पत्र–
दूसरी तरफ अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव व सुनीता शर्मा ने भारत के मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति डा. डीवाई चंद्रचूड़, इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल व हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राधाकांत ओझा को पत्र लिखकर हाईब्रिड मोड में सुनवाई व्यवस्था लागू करने की मांग की है। कहा कि वर्चुअल सुनवाई में वादकारियों को न्याय दिलाने में भारी कठिनाई आ रही है।