न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा विवाद: सीजेआई ने जांच समिति की रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को सौंपी, अब कार्यपालिका की कार्रवाई पर टिकी निगाहें

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा विवाद: सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका, एफआईआर दर्ज कर आपराधिक जांच की मांग

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा विवाद: सीजेआई ने जांच समिति की रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को सौंपी, अब कार्यपालिका की कार्रवाई पर टिकी निगाहें

🔥 दिल्ली में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवास पर आग लगने की घटना

    • आगजनी के दौरान वर्मा और उनकी पत्नी मध्य प्रदेश में यात्रा पर थे।

    • दमकल विभाग को बुलाया गया, और अंदर जलती हुई बेहिसाब नकदी बरामद होने की सूचना मिली।
    • आग में जलती हुई नकदी के बंडलों का वीडियो सामने आता है।

दिल्ली स्थित अपने सरकारी आवास में आग लगने और वहां कथित रूप से बेहिसाब नकदी मिलने के मामले में फंसे न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट अब औपचारिक रूप से राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेज दी गई है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने यह कदम इन-हाउस प्रक्रिया के तहत उठाया है। रिपोर्ट के साथ न्यायमूर्ति वर्मा की लिखित प्रतिक्रिया भी संलग्न की गई है।

यह रिपोर्ट 3 मई 2025 को अंतिम रूप से तैयार की गई थी और उस आगजनी की घटना से जुड़ी है जो 14 मार्च को न्यायमूर्ति वर्मा के दिल्ली आवास पर हुई थी। उस समय वर्मा और उनकी पत्नी मध्य प्रदेश में थे। घर पर केवल उनकी बेटी और वृद्ध मां मौजूद थीं।

नकदी जलने का वीडियो सामने आने के बाद भ्रष्टाचार के आरोप
घटना के बाद एक वीडियो सामने आया जिसमें जलती हुई नकदी के बंडल देखे गए, जिससे पूरे मामले ने तूल पकड़ा और न्यायमूर्ति वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। वर्मा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे “बदनाम करने की साजिश” बताया था।

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सीजेआई की पहल पर हुई इन-हाउस जांच
मुख्य न्यायाधीश ने 22 मार्च को तीन सदस्यीय समिति गठित कर जांच के आदेश दिए। इस समिति में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल थे। समिति ने अपनी जांच पूरी कर शुरुआत मई में रिपोर्ट प्रस्तुत की।

पूर्व unheard कदम: रिपोर्ट और वीडियो को किया गया सार्वजनिक
इस पूरे घटनाक्रम में दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा सौंपी गई प्रारंभिक रिपोर्ट, विवादास्पद वीडियो और न्यायमूर्ति वर्मा की सफाई को सुप्रीम कोर्ट ने असाधारण रूप से सार्वजनिक किया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट में वापसी, लेकिन न्यायिक कार्य से दूर
विवाद के बीच न्यायमूर्ति वर्मा को उनके मूल संस्थान इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां हाल ही में उन्होंने शपथ ली। हालांकि सीजेआई के निर्देश पर उन्हें फिलहाल कोई न्यायिक कार्य नहीं सौंपा गया है। इस फैसले के विरोध में इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने हड़ताल की घोषणा की थी।

FIR की मांग सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज
जब तक आंतरिक जांच लंबित है, सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका को विचार के लिए अस्वीकार कर दिया। इस बीच खबरें हैं कि वर्मा ने वरिष्ठ अधिवक्ताओं — सिद्धार्थ अग्रवाल, अरुंधति काटजू, तारा नरूला और अन्य से कानूनी परामर्श लिया है।

सूत्रों के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश ने न्यायमूर्ति वर्मा को इस्तीफा देने या महाभियोग की प्रक्रिया का सामना करने की सलाह भी दी थी।

अब अगली कार्रवाई कार्यपालिका के पाले में
अब जबकि रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजी जा चुकी है, इस प्रकरण में अगला कदम केंद्र सरकार के निर्णय पर निर्भर करेगा। यह मामला भारतीय न्यायपालिका में नैतिक जवाबदेही और संस्थागत पारदर्शिता की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मोड़ पर है।

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