पुणे जिले की एक फैमिली कोर्ट Family Court में चल रहे पारिवारिक संघर्षों के परिणामस्वरूप, आपने एक पति के बारे में सुना होगा जो अपनी पत्नी को उसकी दैनिक जरूरतों के लिए गुजारा भत्ता प्रदान करता है।
एक दंपति द्वारा दायर एक मुकदमे में, पारिवारिक न्यायलय जस्टिस राघवेंद्र अराध्य ने 78 वर्षीय पत्नी को अपने 83 वर्षीय पति को अंतरिम गुजारा भत्ता Pay Alimony के रूप में प्रति माह रु. 25,000 का भुगतान करने का आदेश दिया। शादी के 55 साल बाद, उन्होंने 2018 में तलाक के लिए अर्जी दी।
याचिकाकर्ता, एक 83 वर्षीय शैक्षणिक संस्थान निदेशक, तलाक और गुजारा भत्ता की मांग कर रहा है। उनकी 78 वर्षीय पत्नी संगठन की अध्यक्ष हैं। 1964 में सुनील और कुसुम (दोनों का नाम बदल दिया गया है) ने शादी कर ली। उनकी दो बेटियां हैं जिनकी शादी हो चुकी है।
पत्नी पर पति ने लगाया है प्रताड़ना का आरोप-
पत्नी के प्रताड़ना से तंग आकर सुनील ने तलाक के लिए अर्जी दी। दोनों ने एक दूसरे पर एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर का आरोप लगाया है। याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि उसकी पत्नी ने उसे संस्थान और घर छोड़ने के लिए लगातार प्रताड़ित किया। महिला के बीमार होने पर याचिकाकर्ता ने उसका खूब ख्याल रखा। जैसे ही वह ठीक हुई वह उसे फिर से प्रताड़ित करने लगी।
याची गंभीर बीमारी से जूझ रहा है-
याची पति मधुमेह Diabetes और हृदय रोग Heart Disease से पीड़ित है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा है कि डॉक्टर ने उसे अपने स्वास्थ्य का अच्छी तरह से ध्यान रखने की सलाह दी है। याचिकार्ता को डॉक्टरों ने सलाह दी है कि वह उचित समय पर भोजन करें और समय पर दवा लें।
तलाक का क्या है ग्राउंड?
जस्टिस राघवेंद्र अराध्य ने शुक्रवार को यह फैसला सुनाया है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वैशाली चंदाने ने कहा, ‘अगर पति के पास आय का कोई स्रोत नहीं No Source of Income है और उसकी पत्नी कमा रही है, उनके बीच पारिवारिक विवाद चल रहा है तो पति भी हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 24 Sec 24 of Hindu Marriage Act 1955 के तहत गुजारा भत्ता का दावा दायर कर सकता है। ‘
कोर्ट ने यह भी कहा है कि पति के पास आय का स्थायी स्रोत नहीं है इसलिए पत्नी, पति को अंतरिम गुजारा भत्ता Pay Alimony के रूप में प्रति माह रु. 25,000/- दे। इस जोड़े ने 1964 में शादी की थी। साल 2018 में पति ने तलाक के लिए अर्जी दी।