लोक अदालत ने बनाया कीर्तिमान, एक दिन में एक लाख 72 हजार से अधिक वादों का निस्तारण करके, वसूला रुपया 3428.67 करोड़ जुर्माना

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने सभी जिला न्यायालय परिसरों, दिल्ली उच्च न्यायालय, स्थायी लोक अदालतों, ऋण वसूली ट्रिब्यूनल, राज्य उपभोक्ता आयोग एवं जिला उपभोक्ता आयोग में शनिवार को साल 2024 की पहली राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया. इस दौरान दिल्ली के कुल मिलाकर एक लाख 72 हजार 748 मामले निपटाए गए और 3428.67 करोड़ रुपये की निपटान राशि प्राप्त की. इस राष्ट्रीय लोक अदालत में दिल्ली उच्च न्यायालय, न्यायाधिकरणों/उपभोक्ता मंचों और सभी जिला न्यायालयों द्वारा सर्वाधिक 2,57,752 मामले निपटारे के लिए भेजे गए थे.

इन मामलों में 1,80,000 ट्रैफिक चालान शामिल थे. एक मोटर एक्सीडेंट क्लेम केस में बीमा कंपनी पर कोर्ट ने 90 लाख रुपये का जुर्माना तय किया. मोटर दुर्घटना पीड़ित के आश्रितों को बीमा कंपनी द्वारा भुगतान किया जाना है. इसके अलावा धारा 138 एनआई एक्ट के अंतर्गत 1.33 करोड़ रुपये की राशि का समझौता, दक्षिण पूर्वी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण साकेत न्यायालय में हुआ. वहीं वर्ष 2016 से लंबित मानव रचना इंटरनेशनल स्कूल का मामला भी लोक अदालत में सुलझाया गया.

सात जिला न्यायालय परिसरों में, सभी प्रकार के सिविल और आपराधिक समझौता योग्य मामलों से निपटाने के लिए 342 लोक अदालत बेंच का गठन किया गया था. न्यायालयों में लंबित 659 यातायात चालान, विभिन्न जिला न्यायालयों में 51,336 लंबित मामले, पूर्व-मुकदमेबाजी के 24,619 मामले, और 1138 मामले दिल्ली उच्च न्यायालय, ऋण वसूली न्यायाधिकरण, उपभोक्ता मंच और स्थायी लोक अदालतों में लंबित थे. जिला न्यायालयों में, कुल 1,70,760 मामले निपटाए गए और निपटान राशि 1036.16 करोड़ रुपये रही. वहीं पूरी दिल्ली में 1,34,217 ट्रैफिक चालानों के निपटान से 1.47 करोड़ रुपये की जुर्माने की राशि प्राप्त हुई.

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इस दौरान दिल्ली उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश और डीएसएलएसए (दिल्ली स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी) के अध्यक्ष जस्टिस मनमोहन ने लोक अदालत की व्यवस्थाओं का जायजा लेने के लिए तीस हजारी कोर्ट परिसर का दौरा किया. न्यायमूर्ति मनमोहन ने तीस हजारी कोर्ट परिसर में एसोसिएट सदस्यों के रूप में सेवारत ट्रांसजेंडर व्यक्तियों, एसिड अटैक सर्वाइवर्स और विकलांग व्यक्तियों की सराहना और मान्यता बढ़ाने के लिए उनसे बातचीत की. डीएसएलएसए के सचिव मुकेश कुमार गुप्ता ने कहा कि, राष्ट्रीय लोक अदालत विवाद समाधान के लिए एक अद्वितीय मंच का प्रतिनिधित्व करती है जो सुलह और सौहार्दपूर्ण समाधान को बढ़ावा देती है.

उन्होंने आगे कहा कि डीएसएलएसए ने एक बार फिर ट्रांसजेंडरों, वरिष्ठ नागरिकों, विकलांग व्यक्तियों, देश के उत्तर-पूर्व क्षेत्र के लोगों और एसिड अटैक पीड़ितों को विभिन्न न्यायालय परिसरों में लोक अदालत बेंचों में एसोसिएट सदस्यों के रूप में नियुक्त करके निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल किया. सभी अदालत परिसरों, न्यायाधिकरणों और फोरम में हेल्प डेस्क, व्हील-चेयर, रैंप, शौचालय सुविधाएं, स्वच्छ पोर्टेबल पानी की सुविधाएं और बैंक वार्ता के लिए सार्वजनिक बैठने के लिए पर्याप्त जगह जैसी सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान की गई थी.

वहीं दिल्ली उच्च न्यायालय में भी लोक अदालत बेंच का गठन किया गया था, जहां 46 मामलों का निपटान 3.09 करोड़ रुपये किया गया. उधर जिला उपभोक्ता फोरम में भी लोक अदालत पीठों का गठन किया गया था, जहां 256 मामलों का निपटारा रुपये 6.23 करोड़ की निपटान राशि पर किया गया. ऋण वसूली न्यायाधिकरणों में लोक अदालत पीठों का भी गठन किया गया, जहां 287 मामलों का निपटारा रुपये 2376.93 करोड़ रुपये की निपटान राशि पर किया गया. साथ ही स्थायी लोक अदालत में बिजली मामले के लिए भी लोक अदालत बेंच का गठन किया गया, जहां 1,399 मामलों का निपटारा 6.26 करोड़ रुपये की समझौता राशि पर किया गया.

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