Madras High Court : मद्रास हाईकोर्ट ने सोमवार को तमिलनाडु सरकार द्वारा पारित एक कानून को असंवैधानिक घोषित कर दिया, जिसमें शिक्षा और रोजगार में सबसे पिछड़े वर्गों (MBCs) के 20% आरक्षण में वन्नियाकुला क्षत्रिय समुदाय को 10.5% इंटरनल रिजर्वेशन दिया गया था. न्यायमूर्ति एम. दुरईस्वामी और न्यायमूर्ति के. मुरली शंकर ने आदर्श आचार संहिता के लागू होने से कुछ घंटे पहले पारित कानून की वैधता को चुनौती देने वाली उच्च न्यायालय की मुख्य सीट के साथ-साथ इसकी मदुरै पीठ में दायर रिट याचिकाओं पर सुनवाई को मंजूरी दी थी. चुनाव के बाद DMK के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार ने भी कॉलेजों में प्रवेश में कानून को लागू किया था.
कानून को चुनौती देने वाले मामलों के एक बड़े बैच के जवाब में मद्रास उच्च न्यायालय के समक्ष दायर एक जवाबी हलफनामे में सरकार ने उस आरोप को खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि अधिनियम को लाने के पीछे एक राजनीतिक मकसद था और कानून जल्दबाजी में पारित किया गया. आरोप लगाया गया कि इसके जरिए विधानसभा के नियमों का उल्लंघन किया गया.
सरकार ने दिया ये तर्क–
वहीं सरकार ने कहा कि लोकतांत्रिक राजनीति में एक निर्वाचित सरकार को अपने कार्यकाल के दौरान किसी भी कानून को बनाने की नीति बनाने के लिए अपनी शक्ति का प्रयोग करने से नहीं रोका जा सकता है. वह अतिम समय तक जनता की राय को पूरा कनरे की शक्ति रखता है. सरकार ने ये बी कहा कि साल 2010 इंटरर्नल रिजर्वेशन के लिए एक याचिका दायर की गई थी.
क्या है पूरा मामला–
MBCs के लिए निर्धारित 20% के भीतर उप-वर्गीकरण के लिए परामर्श की प्रक्रिया 13 जून, 2012 को शुरू हुई. तमिलनाडु पिछड़ा वर्ग आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष ने वन्नियाकुला खस्त्रिया (वन्नियार, वनिया, वनिया गौंडर, गौंडर, कंदर, पडायाची, पल्ली और अग्निकुल क्षत्रिय) के लिए 10.5% आरक्षण की सिफारिश की. इस तरह की सिफारिश 1983 में दूसरे तमिलनाडु बीसी आयोग द्वारा की गई डोर-टू-डोर गणना पर भरोसा करके की गई थी, जब वन्नियाकुला क्षत्रियों की आबादी राज्य की कुल 4.99 करोड़ की आबादी में से 65.04 लाख (13.01%) पाई गई थी. सरकार ने कहा था कि इसलिए, 13.01% की आबादी वाले समुदाय को 10.5 फीसदी आरक्षण के प्रावधान को अनुपातहीन नहीं कहा जा सकता है. हालांकि 2013 में बीसी आयोग के सदस्यों ने अध्यक्ष द्वारा की गई सिफारिश से असहमति जताई थी.
इस साल क्या हुआ–
सरकार ने इस साल फरवरी में नीतिगत निर्णय लेने से पहले आयोग के मौजूदा अध्यक्ष की राय मांगी और उन्होंने भी एक पत्र में 26 फरवरी, 2021 को सरकार को लिखे गए पत्र में वन्नियाकुला क्षत्रियों को 10.5% आंतरिक आरक्षण की सिफारिश की. सरकार ने यह भी कहा कि यह एक मिथक है, जिसमें दावा किया गया है कि वन्नियाकुला क्षत्रियों को आंतरिक आरक्षण ने एमबीसी के तहत आने वाले अन्य समुदायों को प्रभावित किया है.