चिर परिचित मालेगांव बम धमाके जो २००८ में हुआ था में एक गवाह ने मंगलवार को को विशेष एनआईए अदालत (NIA कोर्ट) को बताया की मामले की जांच एजेंसी ने उसे प्रताड़ित किया था। गवाह ने कोर्ट को यह भी बताया की ATS ने उन्हें योगी आदित्यनाथ और आरएसएस (RSS) के 4 अन्य लोगों के गलत नाम लेने के लिए मजबूर किया गया।
गवाह ने आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) के सामने दिया गया बयान वापस ले लिया। शुरू में ATS ने ही इस मामले की जांच की थी। इस पहले भी 22 दिसम्बर को भी एक गवाह कोर्ट में अपने बयान से पलट गया था। वह एक बैठक में शामिल हुआ था, जिसमें सेना अधिकारी प्रसाद पुरोहित और सुधाकर द्विवेदी ने हिंदुओं के साथ किए जा रहे “अन्याय” की बात की। अब तक इस मामले में 218 गवाहों से पूछताछ की, जिनमे से 14 गवाह अपने बयान से मुकर चुके है।
वर्ष 2007 में ATS ने सामने दिये गए इस गवाह के बयान के मुताबिक पुरोहित ने फोन कर उसे नासिक में सुधाकर द्विवेदी के ‘दर्शन’ करने के लिए कहा था। इसके बाद गवाह सुधाकर द्विवेदी से मिलने गया। बैठक में कुछ और लोग भी मौजूद थे। इस दौरान द्विवेदी ने ”हिंदुत्व-वाद” के बारे में बात करते हुए अपने लैपटॉप पर एक CD भी चलाई थी, जिसमें हिंदुओं पर हुए अत्याचारों के दृश्य चल रहे थे.
क्या है पूरा मालेगाव केस-
29 सितंबर, 2008 को मुंबई से 200 किलोमीटर दूर उत्तरी महाराष्ट्र के मालेगांव में एक मस्जिद के पास एक धमाका हुआ था जिसमे 6 लोगो की मौत हुई थी और 100 से ज्यादा लोग ज़ख़्मी हुए थे.