Misleading Advertisements Guidelines: सोडा दिखा शराब, दो मिनट में गोरापन, चेहरे की झुर्रियां गायब, आदि भ्रामक विज्ञापन, नई दिशा निर्देश में अब  नहीं चलेगा-

Misleading Advertisements Guidelines: सोडा दिखा शराब, दो मिनट में गोरापन, चेहरे की झुर्रियां गायब, आदि भ्रामक विज्ञापन, नई दिशा निर्देश में अब नहीं चलेगा-

दो मिनट में तुरंत चेहरे पर निखार आ जाएगा… इलायची का नाम पर प्रचार गुटखे का… बोतल सोडा की परन्तु प्रचार शराब का मजा चैन से लो पर प्रचार चैनी खैनी का भ्रामक और शब्दों की चाशनी में घुले ऐसे विज्ञापन आपने भी देखे होंगे। दरअसल विज्ञापन का मकसद दर्शकों यानी ग्राहकों को लुभाना होता है लेकिन वह उस पल भ्रामक बन जाता है जब सच्चाई की सीमा से बाहर निकलकर वह खोखले वादे और दावों की परत ओढ़ लेता है। सरकार ने अब ऐसे भ्रामक विज्ञापनों को रोकने का मन बना लिया है। पहले भी एक, दो मामले उठते रहे हैं और लोगों की नाराजगी सामने आने के बाद ऐक्शन लिए गए लेकिन अब सरकार ने भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के लिए नए दिशानिर्देश Misleading Advertisements Guidelines जारी कर दिए हैं। इसमें छोटे बच्चों को टारगेट करने और उपभोक्ताओं को लुभाने के लिए मुफ्त दावे करने वाले विज्ञापन भी शामिल हैं।

Misleading Advertisements Guidelines – सरकार की नई गाइडलाइंस में कहा गया है कि विज्ञापन जारी करने से पहले उचित सावधानी बरती जानी चाहिए। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा अधिसूचित नए दिशानिर्देशों में ‘सरोगेट’ विज्ञापनों पर भी रोक लगाई गई है और विज्ञापन दिखाते समय किसी घोषणा में ज्यादा पारदर्शिता लाने की बात कही गई है। ये दिशानिर्देश तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं।

कंपनियों के लिए भ्रामक विज्ञापन पर रोक लगाने के लिए सरकार ने नई गाइडलाइन जारी किया है. इन गाइडलाइंस का उद्देश्य Main aims Of New Guideline उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा, अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस Unfair Trade Practice पर लगाम और भ्रामक दावों पर कार्रवाई करना है.

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सोडा वाटर का बहाना सही मकसद शराब का ऐड दिखाना-

‘सरोगेट’ विज्ञापन दरअसल, छद्म विज्ञापन होते हैं, जो किसी अन्य उत्पाद का प्रचार करते हैं। मसलन, शराब को अक्सर म्यूजिक सीडी या किसी सोडे के प्रोडक्‍ट के तौर पर दिखाया जाता है। कहने का मतलब यह है कि जो उत्‍पाद प्रतिबंधि‍त हैं उसे किसी दूसरे प्रोडक्‍ट का सहारा लेकर दिखाया जाता है, क्‍योंकि सीधे तौर पर शराब की बोतल नहीं दिखाई जा सकती, इसलिए उसकी जगह सोडे की बोतल दिखाई जाती है, लेकिन शराब पीने वाले और तंबाखू खाने वाले समझ जाते हैं कि चीज का विज्ञापन है। ऐसे विज्ञापनों को ही सेरोगेट विज्ञापन या छद्म विज्ञापन कहा जाता है।

उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने इन दिशानिर्देशों की घोषणा करते हुए कहा, ‘विज्ञापनों में उपभोक्ता काफी दिलचस्पी लेते हैं। सीसीपीए अधिनियम के तहत, उपभोक्ताओं के अधिकारों को प्रभावित करने वाले भ्रामक विज्ञापनों से निपटने का प्रावधान हैं।’ उन्होंने कहा, ‘…लेकिन उद्योग को अधिक स्पष्ट और जागरूक बनाने के लिए, सरकार निष्पक्ष विज्ञापन के लिए दिशानिर्देश लेकर आई है।’ ये दिशानिर्देश प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल जैसे सभी प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित विज्ञापनों पर लागू होंगे। नए दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने पर केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (सीसीपीए) के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।

अब भ्रामक एड्स पर सिलेब्रिटी भी नपेंगे?

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत शुक्रवार को लागू नए दिशानिर्देशों Misleading Advertisements Guidelines के अनुसार, उत्पादों या सेवाओं का समर्थन करने वाली फिल्मी या अन्य क्षेत्रों की हस्तियां भी जिम्मेदारी मानी जाएंगी। नए रूल में साफ कहा गया है कि भ्रामक प्रचार में शामिल होने के लिए उन्हें भी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।

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किस तरह के विज्ञापन कहलाते है भ्रामक विज्ञापन-

  • जो किसी विज्ञापन या सेवा को गलत तरीके से बताते हैं
  • ग्राहकों को भ्रमित करने के लिए जो झूठी गारंटी का वादा करते हैं
  • जानबूझकर अहम सूचना छिपाई जाती है
  • सस्ता बता ललचाना
  • भ्रामक एड में वे सभी सामान, उत्पाद या सेवाएं आएंगी, जिसे सस्ते रेट पर बताकर ग्राहकों को आकर्षित किया जाता है।

क्‍या होता है ‘सरोगेट विज्ञापन’?

  • टीवी पर शराब, तंबाकू जैसे उत्‍पादों के विज्ञापन को सीधे तौर पर नहीं दिखाया जाता है
  • ऐसे प्रोडक्‍ट्स के विज्ञापन के लिए दूसरे प्रोडक्‍ट का सहारा लिया जाता है
  • जैसे शराब के विज्ञापन के लिए सोडे की बोतल का इस्‍तेमाल किया जाता है
  • पैन मसाला गुटका के लिए इलाइची का प्रचार दिखाना
  • ऐसे ही विज्ञापनों को सेरोगेट ऐडवर्टाइजिंग कहा जाता है
  • प्रतिबंधि‍त विज्ञापनों को दिखाने के लिए होता है सेरोगेट का इस्‍तेमाल
  • शराब, गुटखे जैसी चीजों के प्रमोशन पर बैन लगा तो कंपनियों ने नया जुगाड़ निकाल लिया

कौन से और किस प्रकार का ऐड बैन है-

  • भ्रामक और सरोगेट एड
  • बच्चों की शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए हानिकारक चीजों को प्रोत्साहित करने वाले विज्ञापन
  • वैज्ञानिक तथ्यों के बगैर शारीरिक और मानसिक क्षमता बढ़ाने का दावा
  • प्राकृतिक या पारंपरिक खाने की तुलना में विज्ञापन में दिखाए प्रोडक्ट को बेहतर दिखाना

अब चालाकी नहीं चलेगी-

डिस्क्लेमर Disclaimer उसी भाषा Same language में और मुख्य विज्ञापन Main Advertisement के बराबर फॉन्ट साइज Font Size में होना चाहिए
ऑडियो-वीडियो एड Audio video Adds में वीओ जल्दी-जल्दी नहीं आना चाहिए, ऐसा हो जिससे सुना और समझा जा सके।

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