कोर्ट की प्रक्रिया को गुमराह करना न्यायालय की अवमानना: सुप्रीम कोर्ट ने दोषी को 3 माह की जेल और ₹20,000 का जुर्माना सुनाया

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कोर्ट की प्रक्रिया को गुमराह करना न्यायालय की अवमानना: सुप्रीम कोर्ट ने दोषी को 3 माह की जेल और ₹20,000 का जुर्माना सुनाया

नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट – न्यायालय से आदेश लेने के बावजूद उसे लागू न करने और प्रक्रिया का दुरुपयोग करने के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने एक कड़ा संदेश देते हुए कहा है कि “कोर्ट को गुमराह कर आदेश प्राप्त करना, जिसे लागू करने की नीयत ही न हो, कानून की प्रक्रिया को भयभीत करने जैसा कृत्य है और यह स्पष्ट रूप से अदालत की अवमानना है।”

न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने यह टिप्पणी करते हुए उत्तरदाता शाजी ऑगस्टीन को नागरिक अवमानना (Civil Contempt) का दोषी ठहराया और तीन महीने की साधारण कारावास तथा ₹20,000 का अर्थदंड लगाया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि “वित्तीय कठिनाई” का बहाना देकर न्यायालय के आदेश की अनदेखी करना, न्यायिक प्रणाली की गरिमा को आहत करने वाला गंभीर आचरण है।


पीठ की कठोर टिप्पणी: “जो प्रक्रिया को कलंकित करे, वह साफ हाथों से नहीं आया”

पीठ ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा:
“कोई भी व्यक्ति जो अदालत की प्रक्रिया का अपने निहित स्वार्थ के लिए दुरुपयोग करता है, उसे यह नहीं कहा जा सकता कि वह साफ-सुथरे इरादों के साथ न्यायालय के समक्ष आया है। जब अदालत को गुमराह कर ऐसा आदेश प्राप्त किया जाता है, जिसे लागू करने का कोई इरादा ही न हो, तो वह कानून की प्रक्रिया को कलंकित करना है।”


मामले की पृष्ठभूमि

सर्वश्री  चित्रा वुड्स मैनर्स वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा दायर अवमानना याचिका में यह आरोप था कि सुप्रीम कोर्ट के 2022 के निर्णय में दिए गए एरियर्स के भुगतान के आदेश का पालन नहीं किया गया। उत्तरदाता ने समय मांगा, लाभ प्राप्त किया, लेकिन आदेश का अनुपालन नहीं किया।

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कोर्ट की सख्ती: केवल जुर्माना पर्याप्त नहीं

पीठ ने अपने निर्णय में कहा:
“यह मामला केवल जुर्माना लगाकर समाप्त नहीं किया जा सकता। उत्तरदाता की लगातार टालमटोल, आदेशों की अवहेलना और कोर्ट को गुमराह करने का इरादा स्पष्ट रूप से प्रत्यक्ष है। न्यायालय की गरिमा और प्रक्रिया को कलंकित करने वाला यह कृत्य माफी योग्य नहीं।”


आदेश का निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तरदाता शाजी ऑगस्टीन को नागरिक अवमानना का दोषी ठहराते हुए आदेश दिया:

  • तीन महीने की साधारण कारावास,
  • 20,000 का जुर्माना, दो सप्ताह में जमा करें,
  • अनुपालन न होने पर एक और महीने की साधारण कारावास।

प्रकरण शीर्षक: सर्वश्री चित्रा वुड्स मैनर्स वेलफेयर एसोसिएशन बनाम शाजी ऑगस्टीन
याचिकाकर्ता की ओर से: एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड निशे राजन शोंकर
उत्तरदाता की ओर से: एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड लक्ष्मीश एस. कामथ

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