राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि: दिल्ली हाईकोर्ट ने तुर्की कंपनी Çelebi की सुरक्षा मंजूरी रद्द करने के फैसले को सही ठहराया

Delhi High Court

राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि: दिल्ली हाईकोर्ट ने तुर्की कंपनी Çelebi की सुरक्षा मंजूरी रद्द करने के फैसले को सही ठहराया
— विधि संवाददाता

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को तुर्की की ग्राउंड-हैंडलिंग कंपनी Çelebi Airport Services India Pvt. Ltd. और Çelebi Delhi Cargo Terminal Management India Pvt. Ltd. की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से उनकी सुरक्षा मंजूरी रद्द करने के फैसले को चुनौती दी गई थी।

⚖️ “राष्ट्रीय सुरक्षा बाकी सभी अधिकारों का मूल आधार है”: कोर्ट

न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की एकल पीठ ने अपने निर्णय में कहा कि न्यायालय सरकार द्वारा लिए गए फैसले में निहित राष्ट्रीय सुरक्षा के ठोस आधारों से संतुष्ट है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि गोपनीय खुफिया सूचनाएं सार्वजनिक रूप से साझा नहीं की जा सकतीं, लेकिन उन्होंने यह माना कि इसमें जासूसी की आशंका और विदेशी संघर्ष के दौरान लॉजिस्टिक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर के दुरुपयोग की संभावनाएं सामने आई थीं।

कोर्ट ने माना कि एयरपोर्ट ग्राउंड हैंडलिंग एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें विमानों, कार्गो, यात्री डेटा और प्रतिबंधित क्षेत्रों तक सीधी पहुंच होती है, इसलिए इस क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं की पूरी जांच आवश्यक है, विशेषकर तब जब उनकी विदेशी स्वामित्व वाली पृष्ठभूमि हो।

📜 नियम 12 के तहत पूर्व-निर्णय सुनवाई आवश्यक नहीं

Çelebi की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने दलील दी थी कि सुरक्षा मंजूरी को Aircraft Rules, 1937 के नियम 12 के तहत पूर्व सूचना और सुनवाई के बिना रद्द करना नैसर्गिक न्याय का उल्लंघन है। उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी का स्वामित्व भले ही तुर्की में हो, लेकिन भारत में उसके सभी कर्मचारी भारतीय हैं, और कंपनी का किसी राजनीतिक विचारधारा से कोई संबंध नहीं है।

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इसके जवाब में भारत सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि यह मामला “sui generis” (अपनी तरह का अनोखा) है, और ऐसी परिस्थितियों में राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रक्रियात्मक न्याय से ऊपर माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा:

“कुछ निर्णय कठोर अवश्य हो सकते हैं, लेकिन वे राष्ट्रीय हित में लिए जाते हैं। हर विवरण को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।”

📌 कोर्ट का संतुलित रुख: न्याय बनाम सुरक्षा

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा की हो, तब सभी मामलों में पूर्व-निर्णय सुनवाई की मांग नियम के उद्देश्य को विफल कर सकती है

निर्णय में कहा गया:

“जब राष्ट्र की सुरक्षा दांव पर हो, तो न्यायिक प्रक्रिया में सावधानीपूर्वक गोपनीयता बनाए रखना आवश्यक है। ऐसे मामलों में सार्वजनिक प्रकटीकरण से कूटनीतिक संबंध और राष्ट्रीय सुरक्षा दोनों को खतरा हो सकता है।”

🔻 पृष्ठभूमि

Bureau of Civil Aviation Security (BCAS) ने अप्रैल में Çelebi को दी गई सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी थी, जिससे कंपनी के दिल्ली और मुंबई सहित प्रमुख हवाई अड्डों पर ठेके समाप्त कर दिए गए। इसके बाद कंपनी ने हाईकोर्ट का रुख किया था।

🧾 निष्कर्ष

दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा कि:

“राष्ट्र की सुरक्षा सभी नागरिक अधिकारों का आधार है और इसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए।”

इस फैसले से स्पष्ट होता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में अदालतें विशेष सतर्कता बरतती हैं और प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं को परिस्थितियों के अनुसार लचीला रूप देने की अनुमति देती हैं, खासकर जब संवेदनशील खुफिया सूचनाएं शामिल हों।

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