NDPS Act : कितनी मात्रा में ड्रग्स रखना कानूनन अपराध ? क्या है NCB, कैसे काम करती है ? बिना वारंट तलाशी और गिरफ्तारी का अधिकार, जाने विस्तार से-

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Narcotics Drugs and Psychotropic Substances Act, 1985 NDPS Act की धारा 42 के तहत अधिकारी को बगैर किसी वारंट या अधिकार पत्र के तलाशी लेने, मादक पदार्थ जब्त करने और गिरफ्तार करने का भी अधिकार है.

NDPS Act Explained : क्रूज पर रेव पार्टी के दौरान ड्रग्स का सेवन करने, रखने, खरीदने-बेचने के आरोप में नारकोटिक्स ब्यूरो ने कार्रवाई की है. इसमें बॉलीवुड एक्टर शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान (Aryan Khan) समेत तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है.

आर्यन पर भी ड्रग्स सेवन का आरोप है. एनसीबी के मुताबिक, छापेमारी के बाद 13 ग्राम कोकीन, पांच ग्राम एमडी, 21 ग्राम चरस, 22 नशे की गोलियां और 1.33 लाख की नकदी जब्त की गई है.

अब सवाल यह है कि कितनी मात्रा में ड्रग्स रखना कानूनन अपराध है? कौन सा ड्रग्स कोई कितने से ज्यादा नहीं रख सकता है? यह मात्रा कितनी होने पर व्यावसायिक की कैटगरी में आ जाती है? अगर आरोपियों के पास से जितनी मात्रा में ड्रग्स बरामद हुए हैं, उनमें कितनी सजा हो सकती है?

आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से-

क्या है NDPS Act?

Drugs नशीले पदार्थों के सेवन करने, इसे बनाने, खरीद-बिक्री करने के खिलाफ देश में जो कानून है, उसे नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 कहते हैं. इसे शॉर्ट में NDPS एक्ट कहा जाता है. इसके तहत 2 तरह के नशीले पदार्थ आ​ते हैं- नारकोटिक और साइकोट्रोपिक. कुछ का उत्पादन मेडिकल जरूरतों या अन्य कार्यों के लिए जरूरी भी होता है, लेकिन उन पर कड़ी निगरानी रखनी होती है, नहीं तो लोगों में नशे की लत बढ़ सकती है. इसी नियंत्रण के लिए NDPS एक्ट बनाया गया है.

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नारकोटिक और साइकोट्रोपिक ड्रग्स क्या होते हैं?

NDPS Act के तहत केंद्र सरकार प्रतिबंधित दवाओं की एक लिस्ट जारी करती है, जो समय-समय पर राज्य सरकारों की सलाह पर अपडेट भी होती है. नारकोटिक ड्रग्स से मतलब है- नींद लाने वाले ड्रग्स, जो नैचुरल होते हैं या प्राकृतिक चीजों से बनते हैं. जैसे चरस, गांजा, अफीम, हेरोइन, कोकेन, मॉर्फीन वगैरह इसके तहत आते हैं.

साइकोट्रोपिक यानी दिमाग पर असर डालने वाली ड्रग्स, जो केमिकल बेस्ड होती है या फिर जिन्हें दो-तीन तरह के केमिकल मिलाकर तैयार किया जाता है. जैसे- एलएसडी, एमएमडीए, अल्प्राजोलम वगैरह. इनमें से कुछ दवाएं जीवनरक्षक भी हैं, लेकिन बिना मेडिकल सलाह के ज्यादा मात्रा में लेने से इसका नशा खतरनाक हो सकता है. एनसीबी की छापेमारी में दोनों तरह के ड्रग्स बरामद हुए हैं.

क्या है NCB, कैसे काम करती है?

एनसीबी यानी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, नशीले पदार्थों से जुड़े मामलों में कार्रवाई करने वाली सबसे बड़ी जांच एजेंसी है, जो नशीले पदार्थों का मामला होने पर देश में कहीं भी जांच कर सकती है. इसकी स्थापना एनडीपीएस एक्ट पारित होने के अगले साल 17 मार्च, 1986 को हुई थी.

नशीले पदार्थों को बेचने, बनाने और सेवन को लेकर संसद ने साल 1985 में नारकोटिक्स ड्रग्स साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट 1985 (NDPS) पारित किया था. इसमें अब तक तीन बार 1988, 2001 और 2014 में संशोधन हो चुके हैं.

बिना वारंट तलाशी और गिरफ्तारी का अधिकार-

NDPS एक्ट की धारा 41 के अंतर्गत सरकार को नशीली दवा का सेवन करने वाले की पहचान, इलाज और पुनर्वास केंद्र की स्थापना का अधिकार है. धारा 42 के तहत जांच अधिकारी को बगैर किसी वारंट या अधिकार पत्र के तलाशी लेने, मादक पदार्थ जब्त करने और गिरफ्तार करने का भी अधिकार है. एनडीपीएस एक्ट के तहत राज्य की पुलिस भी कार्रवाई कर सकती है. साथ ही केंद्र और राज्यों में अलग से नारकोटिक्स विभाग भी बने होते हैं. यह नशीले पदार्थों की तस्करी और इसके अवैध तरीके से इस्तेमाल पर नजर रखते हैं.

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किस ड्रग ( नशीले पदार्थ ) की कितनी मात्रा व्यावसायिक?

नशीले पदार्थों की कम मात्रा या व्यावसायिक मात्रा अलग-अलग हो सकती है. नशे के टाइप के हिसाब से मात्रा तय की जाती है. जैसे एक किलो गांजा और 2 ग्राम कोकीन, दोनों अल्प मात्रा वाले अपराध में आते हैं.

ड्रग ( नशीले पदार्थ )अल्प मात्राव्यावसायिक मात्रा
चरस100 ग्राम तक1 किलो या अधिक
कोकेन 2 ग्राम तक100 ग्राम या अधिक
गांजाएक किलो तक20 किलो या अधिक
हेरोइन5 ग्राम तक250 ग्राम या अधिक
अफीम25 ग्राम तक2.5 किलो या अधिक
मॉर्फिन5 ग्राम तक250 ग्राम या अधिक
कोडिन10 ग्राम तक1 किलो या अधिक
MDMAआधा ग्राम तक10 ग्राम या अधिक

Narcotics Drugs and Psychotropic Substances Act, 1985 में कैसी सजा का प्रावधान है?

एनडीपीएस एक्ट के तहत प्रतिबंधित नशीले पदार्थों की मात्रा के आधार पर तीन तरह की सजाएं होती हैं-

  • अगर नशीली ड्रग्स का सेवन कम मात्रा में किया गया है, तो एक साल कैद की सजा या 10 हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है. फिर दोनों हो सकते हैं. इसमें आसानी से बेल भी मिल जाती है, लेकिन बार-बार पकड़े जाने पर बेल मिलना मुश्किल होता है.
  • कमर्शियल क्वांटिटी यानी खरीद-बिक्री के उद्देश्य से नशीले पदार्थ रखने पर एनडीपीएस एक्ट के तहत 10 से 20 साल तक की सजा और एक से दो लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है. ऐसे मामले में जमानत नहीं मिलती.
  • अगर कम मात्रा और कमर्शियल क्वांटिटी के बीच की मात्रा में किसी के पास ड्रग्स मिलने पर 10 साल तक की सजा या एक लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं. ऐसे मामलों में जमानत मिलना या न मिलना पकड़े गए नशीले पदार्थ और पुलिस की धाराओं पर निर्भर करता है.

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