इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक एक मामले की सुनवाई के समय पाया कि सीआरपीसी की धारा 82 के तहत भगोड़ा या घोषित अपराधी घोषित व्यक्ति अग्रिम जमानत के लाभ का हकदार नहीं है।
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार गुप्ता ने उस आवेदक की जमानत याचिका को खारिज कर दिया, जिस पर जाली और फर्जी बिक्री विलेख के आधार पर भूमि का एक टुकड़ा प्राप्त करने का आरोप लगाया गया था क्योंकि आवेदक पहले मुखबिर की संपत्ति हड़पना चाहता था।
बेंच ने इस प्रकार कहा-
“आवेदक के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के बाद, वह ट्रायल कोर्ट के समक्ष जानबूझकर अनुपस्थित रही और इसके कारण, आज तक आवेदक के खिलाफ मुकदमा शुरू नहीं हो सका। इसके अलावा, यह उपरोक्त निर्णय से स्पष्ट है कि यदि किसी को संहिता की धारा 82 के संदर्भ में भगोड़ा/घोषित अपराधी घोषित किया जाता है, तो वह अग्रिम जमानत की राहत का हकदार नहीं है।”
अभियोजन पक्ष द्वारा तर्क दिया गया था कि 2018 में आवेदक के खिलाफ चार्जशीट पहले ही जमा की जा चुकी थी और मामला लंबित है तब से। यह भी तर्क दिया गया कि चार्जशीट दायर करने के बाद, आवेदक ने जानबूझकर खुद को कार्यवाही से अनुपस्थित किया, परिणामस्वरूप, धारा 82 सीआरपीसी के तहत आवेदक के खिलाफ प्रक्रिया शुरू की गई थी और उसे भगोड़ा घोषित किया गया है।
यह भी प्रस्तुत किया गया था कि आवेदक भगोड़ा घोषित किए जाने के काफी बाद में अग्रिम जमानत मांगने के लिए निचली अदालत में गया था और सत्र न्यायालय द्वारा अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज कर दी गई थी। आगे यह तर्क दिया गया कि आवेदक के असहयोग के कारण विचारण अभी भी विचारण न्यायालय के समक्ष लंबित है। आवेदक के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध हैं।
आवेदक के झूठे आरोप लगाने का कोई आधार नहीं है। अतः आवेदक का आवेदन पत्र निरस्त किये जाने योग्य है।
इस प्रकार वकीलों की दलीलों का हवाला देते हुए और प्रेम शंकर प्रसाद बनाम मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आपराधिक अपील संख्या 1209/2021 में प्रेम शंकर प्रसाद बनाम बिहार राज्य का निर्णय दिनांक 21.10.2021 पर भरोसा करते हुए निर्णय दिया कि आवेदक घोषित अपराधी/फरार होने के कारण अग्रिम जमानत की राहत की हकदार नहीं है और इस प्रकार उसके आवेदन को खारिज कर दिया।
केस टाइटल – डॉ. अर्चना गुप्ता बनाम उत्तर प्रदेश राज्य
केस नंबर – CRIMINAL MISC ANTICIPATORY BAIL APPLICATION U/S 438 CR.P.C. No. – 9023 of 2022