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12 वर्ष पहले सर्जरी कराई हुई एक महिला के शरीर में मिला नट-बोल्ट, एनसीडीआरसी ने महिला को 13.77 लाख रुपये का मुआवजा देने का फैसला दिया

12 वर्ष पहले सर्जरी कराई हुई एक महिला के शरीर में नट-बोल्ट मिला. राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने महिला को 13.77 लाख रुपये का मुआवजा देने के फैसले को बरकरार रखा है.

एनसीडीआरसी के पीठासीन सदस्य सुदीप अहलूवालिया और सदस्य जे राजेंद्र ने राज्य आयोग के फैसले की पुष्टि करते हुए कहा कि महिला उचित मुआवजे की हकदार है. क्लिनिक की सेवा में कमी और लापरवाही के कारण उसे परेशानी और पीड़ा का सामना करना पड़ा.

आगे कहा कि जिस असहनीय पीड़ा, कष्ट और कठिनाई से वह गुजरी थी और रातों की नींद हराम हो गई थी और अपने पति और अपने बच्चों को बहुमूल्य सेवा प्रदान करने के लिए गृहिणी के रूप में अपने दिन-प्रतिदिन के काम को करने में असमर्थता का सामना करना पड़ा. उसे आर्थिक रूप से भी नुकसान उठाना पड़ा. वो उचित मुआवजे की हकदार है.

मामला संक्षेप में-

महिला ने 1991 में सर्जरी कराई थी. अपनी सर्जरी के बाद शिकायतकर्ता को चक्कर आना, कंपकंपी, लगातार सिरदर्द, पेट में दर्द और मूत्र पथ के संक्रमण जैसी कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा. अलग-अलग डॉक्टरों से परामर्श करने और विभिन्न उपचारों की कोशिश करने के बावजूद, उसकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ. 2003 में एक अन्य सर्जरी के दौरान उसे पता चला कि पिछले ऑपरेशन के दौरान उसके अंदर एक नट और बोल्ट छोड़ दिया गया था.

महिला ने पहले क्लिनिक की ओर से लापरवाही का दावा किया, जिसने पिछले 12 वर्षों में उसके दर्द और पीड़ा के लिए मुफ्त ऑपरेशन और 50,000 रुपये दिए जाने की बात कही.

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इससे असंतुष्ट होकर महिला ने राज्य आयोग में शिकायत दर्ज कर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत 84,00,000, 1,00,000 और अतिरिक्त 5,000 रुपये की मांग की. उसने कुल दावे पर 24% प्रति वर्ष की दर से ब्याज का भी अनुरोध किया जब तक कि राशि पूरी तरह से वसूल न हो जाए.

राज्य आयोग ने शिकायत को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया और क्लिनिक को 13.77 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया. इसमें चिकित्सा उपचार की लागत, शिकायतकर्ता द्वारा 12 साल तक घरेलू काम के लिए नौकरानी की नियुक्ति, असहनीय दर्द, सामान्य जीवन की हानि शामिल है.

इसके खिलाफ क्लिनिक ने अपील की. एनसीडीआरसी ने कहा कि 1997 में, शिकायतकर्ता ने डॉ. जनार्थनन से चिकित्सा सहायता मांगी और किडनी का एक्स-रे कराया. जिसमें एक “तितली के आकार की वस्तु” सामने आई. हालांकि, डॉक्टर ने उचित मार्गदर्शन नहीं दिया. शिकायतकर्ता के शरीर के अंदर बोल्ट और नट की मौजूदगी अक्टूबर, 2003 के दौरान पाई गई और पुष्टि की गई और 10.12.2003 को हटा निकाल दिया गया.

इन तर्कों के बावजूद एनसीडीआरसी ने राज्य आयोग के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.

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