उत्तर प्रदेश में विधि व्यवसाय के जरिए चार लाख अधिवक्ता समाज के लोगों को न्याय दिलाने के लिए काम कर रहे हैं लेकिन करोना आपदाकाल में उन्हें अपेक्षित सहयोग नहीं मिल सका है। ऐसे में सरकार का दायित्व बढ़ गया है कि अधिवक्ताओं को आर्थिक सहायता के साथ अन्य सुविधाएं मुहैया कराना सुनिश्चित करें। यह बातें रविवार को उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के चेयरमैन शिरीष कुमार मेहरोत्रा ने कही।
उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के चेयरमैन शिरीष कुमार मेहरोत्रा ने कुल सात बिंदुओं पर अपनी बातें रखी-
- दुर्घटना या गंभीर बीमारी की स्थिति में अधिवक्ताओं को 10 लाख रुपये की कैशलेस चिकित्सा सहायता प्रदान की जाए। साथ ही COVID-19 से पीड़ित अधिवक्ता के परिजनों को 10 लाख की एकमुश्त आर्थिक सहायता प्रदान की जाए।
- नए अधिवक्ताओं को अधिवक्ता के रूप में पंजीकरण की तिथि से प्रति माह 10,000/- प्रोत्साहन भत्ता दिया जाए।
- 40 वर्षों तक अधिवक्ता के रूप में न्यायिक प्रणाली की सेवा करने वाले लोगों को न्यूनतम 25 हजार मासिक निर्वाह भत्ता दिया जाए।
- न्यायिक अधिकारियों की तरह अनुभवी अधिवक्ताओं को विभिन्न न्यायाधिकरणों, आयोगों और मध्यस्थता मामलों में नियोजित/समायोजित किया जाना चाहिए।
- अधिवक्ताओं को आवास विकास एवं विकास प्राधिकरण के माध्यम से नो प्रॉफिट नो लॉस के आधार पर प्लॉट/आवास की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
- अधिवक्ताओं को ब्याज मुक्त ऋण, आवास, कार्यालय, लैपटॉप और वाहन प्रदान किया जाना चाहिए।
- अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम को भी लागू किया जाए और न्यायालय परिसर में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जाए।
उन्होंने कहा कि अधिवक्ताओं को दुर्घटनाग्रस्त होने या फिर गंभीर बीमारी की होने की दशा में 10 लाख रुपये कैशलेस चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराई जाए। इसके साथ ही कोरोना की चपेट में आने से मृत अधिवक्ता के परिजनों को 10 लाख की एकमुश्त आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाए।
उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के चेयरमैन शिरीष कुमार मेहरोत्रा कहा कि न्यायिक अधिकारियों की तरह अनुभवी अधिवक्ताओं को विभिन्न अधिकरण, आयोग व मध्ययस्थता के मामलों में अधिवक्ताओं को नियोजित किया जाए।
साथ ही प्रदेश में तहसील मुख्यालयों में नो प्रॉफिट नो लॉस के आधार पर अधिवक्ताओं को आवास विकास व विकास प्राधिकरण के माध्यम से भूखंड/ आवास मुहैया कगया जाए। साथ ही अधिवक्ता सुरक्षा कानून भी लागू किया जाए।
प्रेस नोट में आगे कहा गया कि समाज के लोगों को न्याय दिलाने के लिए राज्य में लगभग चार लाख अधिवक्ता काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें COVID-19 आपदा के दौरान आवश्यक सहायता नहीं मिल पाई। ऐसे में प्रेस नोट में कहा गया कि सरकार की जिम्मेदारी बढ़ गई है कि अधिवक्ताओं को वित्तीय सहायता के साथ-साथ अन्य सुविधाएं भी मुहैया कराई जाएं।
प्रेसवार्ता में बार काउंसिल के पूर्व चेयरमैन हरिशंकर सिंह, जय नारायण पांडे, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अमरेंद्र नाथ सिंह सहित कई पदाधिकारी मौजूद रहे।