अधिवक्ता परिषद अवध, उच्च न्यायालय इकाई, लखनऊ द्वारा 06 मार्च 2025 को महामना सभागार, उच्च न्यायालय लखनऊ में महिला दिवस के उपलक्ष्य में “भारतीय संविधान के 75 वर्ष: महिला अधिवक्ताओं के लिए न्यायालय परिसर में अनुकूल वातावरण का सतत प्रयास” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि, माननीय न्यायमूर्ति श्रीमती साधना रानी ठाकुर ने अपने संबोधन में कहा कि महिलाओं को स्वयं को किसी से कम नहीं आंकना चाहिए, क्योंकि वे मानसिक रूप से अत्यंत सशक्त एवं सक्षम होती हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि वर्तमान समय में महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं और उन्हें हर परिस्थिति में आत्मनिर्भर बनने हेतु प्रेरित किया जाना चाहिए।
महिला अधिवक्ताओं की समस्याओं पर विमर्श
इस अवसर पर महिला अधिवक्ताओं ने मंच के माध्यम से न्यायालय परिसर में उनके समक्ष आने वाली विभिन्न चुनौतियों की ओर सभी का ध्यान आकर्षित किया। अवध बार एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री रिपु दमन शाही ने अपने उद्बोधन में महिलाओं के अधिकारों एवं उनकी न्यायिक क्षेत्र में सहभागिता को और अधिक सशक्त बनाने पर बल दिया।
अवध बार एसोसिएशन के महामंत्री श्री मनोज द्विवेदी ने महिला अधिवक्ताओं के हित में कई योजनाओं की घोषणा करते हुए उनकी समस्याओं के शीघ्र समाधान का आश्वासन दिया।
प्रमुख अधिवक्ताओं एवं न्यायिक अधिकारियों की उपस्थिति
कार्यक्रम में मुख्य स्थायी अधिवक्ता श्री अजय कुमार पाण्डेय, हेमंत कुमार मिश्रा (सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक अभियोजन), अधिवक्ता परिषद अवध प्रांत की महामंत्री श्रीमती मीनाक्षी परिहार सिंह, कोषाध्यक्ष श्री प्रेम चंद्र राय, उपाध्यक्ष श्री अनिल कुमार पाण्डेय, श्री अजय कुमार त्रिपाठी, श्री अमित राय सहित अधिवक्ता परिषद, उच्च न्यायालय इकाई के अध्यक्ष दिवाकर सिंह कौशिक, महामंत्री अमरेंद्र नाथ त्रिपाठी, कोषाध्यक्ष आलोक सरन एवं महिला अधिवक्ताओं पायल सिंह, रुचि गुप्ता, आकांक्षा शाह, प्रमिला सिंह, तनु भारती, मीरा त्रिपाठी आदि उपस्थित रहीं।
इसके अतिरिक्त, दिव्यांशु प्रताप, आदित्य सिंह, अवधेश पाण्डेय, दिव्यांशु त्रिपाठी, राम आसरे वर्मा, अमित दीक्षित, अभिनव मणि त्रिपाठी, शिवांशु गोस्वामी, हिमांशु सूर्यवंशी, राजेश कुमार सिंह, अभ्युदय प्रताप सिंह, रूपेश कसौधन, अश्विनी सिंह समेत अधिवक्ता परिषद की संपूर्ण कार्यकारिणी ने संगोष्ठी में सहभागिता की।
निष्कर्ष
संगोष्ठी में महिला अधिवक्ताओं के लिए सुरक्षित एवं अनुकूल न्यायालयीन वातावरण सुनिश्चित करने, उनके अधिकारों की रक्षा करने एवं उनकी सहभागिता को बढ़ावा देने पर व्यापक चर्चा की गई। इस अवसर पर महिला अधिवक्ताओं को न्यायालय में समुचित सुविधाएं उपलब्ध कराने एवं उनके समक्ष आने वाली चुनौतियों के निराकरण हेतु ठोस कदम उठाने की प्रतिबद्धता दोहराई गई।
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