ऑपरेशन सिंदूर पोस्ट मामला: सुप्रीम कोर्ट ने अली खान महमूदाबाद की अंतरिम जमानत जुलाई तक बढ़ाई, SIT जांच को दो FIR तक सीमित किया
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अशोका विश्वविद्यालय, हरियाणा के राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. अली खान महमूदाबाद को ऑपरेशन सिंदूर पर किए गए सोशल मीडिया पोस्ट के संबंध में दर्ज दो एफआईआर के मामले में दी गई अंतरिम जमानत को जुलाई तक बढ़ा दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने विशेष जांच दल (SIT) की जांच के दायरे को केवल दो एफआईआर तक सीमित रखने का स्पष्ट निर्देश भी दिया।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा:
“SIT की जांच इन कार्यवाही से संबंधित दो एफआईआर की विषय-वस्तु तक ही सीमित रहेगी। रिपोर्ट दाखिल करने से पहले इसे इस न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाए। अंतरिम सुरक्षा अगले आदेश तक जारी रहेगी।”
जांच के दायरे पर सख्ती: डिजिटल डिवाइस की मांग पर एतराज
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, जो महमूदाबाद की ओर से पेश हुए, ने आशंका जताई कि SIT जांच को अन्य मामलों तक न बढ़ा दे। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के महाधिवक्ता को स्पष्ट किया कि जांच का दायरा केवल उन्हीं दो प्राथमिकी तक सीमित रहेगा जो इस मामले का विषय हैं।
जब SIT ने डिजिटल डिवाइस की जांच की अनुमति मांगी, तो न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा:
“दोनों एफआईआर रिकॉर्ड पर हैं, फिर डिवाइस की क्या जरूरत? जांच का दायरा न बढ़ाएं। SIT अपनी राय बना सकती है, लेकिन इधर-उधर मत जाएं।”
पिछली सुनवाई में भी अदालत ने लगाई थी सख्त पाबंदी
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने महमूदाबाद को अंतरिम जमानत तो दी थी, लेकिन दो एफआईआर की जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। अदालत ने उन्हें निर्देश दिया था कि
“वह इस मुद्दे पर कोई भी लेख, ऑनलाइन पोस्ट या भाषण नहीं देंगे।”
साथ ही उन्हें भारत में हुए आतंकी हमलों या भारत की प्रतिक्रिया पर टिप्पणी से भी रोका गया था, और उनका पासपोर्ट जमा कराने का निर्देश दिया गया था।
पृष्ठभूमि: गिरफ्तारी, आरोप और विवाद
- 13 मई को हरियाणा महिला आयोग ने महमूदाबाद को समन भेजा था और उनके पोस्ट को महिला सैन्य अधिकारियों के प्रति अपमानजनक और सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने वाला बताया था।
- महमूदाबाद को दिल्ली स्थित उनके आवास से गिरफ्तार कर दो दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया था।
- उन पर भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने का आरोप लगा है।
महिला आयोग और पुलिस के अनुसार, महमूदाबाद के पोस्ट से भारतीय सेना और सरकार की कार्रवाई को बदनाम करने का प्रयास किया गया।
महमूदाबाद की सफाई
महमूदाबाद ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उनकी टिप्पणी को पूरी तरह से गलत समझा गया है और उनका उद्देश्य किसी भी संस्था को बदनाम करना नहीं था। उन्होंने अपनी गिरफ्तारी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दमन करार दिया था।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश एक ओर व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, तो दूसरी ओर सीमित और संतुलित जांच की दिशा में भी मार्गदर्शन देता है। कोर्ट ने दो टूक शब्दों में कहा कि जांच एजेंसियां अपनी सीमा न लांघें, और आरोपी को अदालत की प्रक्रिया के तहत उचित अवसर मिलना चाहिए। जुलाई में अगली सुनवाई से पहले SIT को रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करनी होगी।
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