POCSO act

POCSO ACT: रेप पीड़िता के मुकरने पर DNA टेस्ट कराकर जेल भिजवाया, कोर्ट ने कहा, कम सजा से समाज में गलत संदेश जाएगा-

पीड़िता बयान देने से मुकर गई तो वकीलों ने DNA टेस्ट की रिपोर्ट के आधार पर युवक को दोषी साबित कराया।

POCSO COURT LANDMARK JUDGMENT न्यायालय विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) की कोर्ट ने रेप केस में अहम फैसला सुनाया है।

16 साल की नाबालिग से 21 साल के युवक ने रेप किया। विशेष न्यायालय पोकसो ऐक्ट में पीड़िता बयान देने से मुकर गई तो वकीलों ने DNA टेस्ट की रिपोर्ट के आधार पर युवक को दोषी साबित कराया।

परिजन ने युवक की उम्र सिर्फ 21 साल होने का हवाला देते हुए कम सजा देने की मांग की। इस पर कोर्ट ने कहा- अदालतों को न केवल आरोपी के अधिकार को ध्यान में रखना चाहिए, बल्कि व्यापक रूप से पीड़ित और समाज के हित को भी ध्यान में रखना चाहिए। अपराध की गंभीरता और सजा के मध्य उचित अनुपात रखना चाहिए। सजा की अपर्याप्ता से पीड़ित और समुदाय को बडे़ पैमाने पर नुकसान पड़ सकता है।

घटना जनवरी 2020 की है। पीड़िता की मां ने बताया कि उसने बेटी को अपने पोते को छोड़ने के लिए स्कूल भेजा, लेकिन वह शाम तक घर नहीं लौटी। शंका के आधार पर पुलिस में अपहरण की रिपोर्ट लिखा दी। अगले दिन जब बेटी लौटी ताे उसने राहुल (21) निवासी शाजापुर पर अपहरण और रेप का आरोप लगाया। पुलिस ने राहुल को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था।

उप संचालक अभियोजन डॉ. साकेत व्यास ने बताया कि कोर्ट में केस की सुनवाई के दौरान लड़की अपने बयान से पलट गई। सरकारी वकील का समर्थन नहीं कर रही थी। इस पर कोर्ट से अनुमति लेकर मामले में DNA टेस्ट कराया गया। रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद अभियोजन अधिकारी सूरज बछेरिया ने पीड़ित की उम्र न्यायालय में 16 वर्ष से कम साबित की।

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आरोपी के वकीलों ने उसकी उम्र को ध्यान में रखते हुए कम से कम सजा सुनाए जाने की अपील की। लेकिन, सरकारी वकीलों ने इसका विरोध किया। इसके बाद स्पेशल जज पॉक्सो एक्ट डॉ. आरती शुक्ला पांडेय की कोर्ट ने आरोपी राहुल निवासी शाजापुर को धारा 376(3) भादवि एवं 5/6 पॉक्सो एक्ट में 20 वर्ष का सश्रम कारावास व 3 हजार रुपये के अर्थदण्ड से दंडित किया।

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