अदालत ने कहा कि भारत राष्ट्र समिति (BRS) के चेन्नामनेनी रमेश ने FAKE DOCUEMENTS का इस्तेमाल करके खुद को भारतीय नागरिक INDIAN CITIZEN दिखाया।
Chennamaneni Ramesh German citizenship: इस बात पर भरोसा कर पाना मुश्किल है कि कोई शख्स भारत INDIA के किसी राज्य में चार बार विधायक MLA (MEMBER OF LEGISLATIVE AUTHORITY) रहा हो और वह देश का नागरिक ही ना हो। तेलंगाना हाई कोर्ट TELANGANA HIGH COURT के एक ताजा फैसले से ऐसा ही एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि भारत राष्ट्र समिति Bharat Rashtra Samithi (BRS) के नेता चेन्नामनेनी रमेश जर्मन नागरिक GERMAN RESIDENT हैं और उन्होंने वेमुलावाड़ा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए जाली दस्तावेजों FAKE DOCUEMENT का इस्तेमाल किया।
अदालत ने कहा कि चेन्नामनेनी रमेश ने जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करके खुद को भारतीय नागरिक दिखाया। कोर्ट ने यह फैसला कांग्रेस के नेता आदी श्रीनिवास की ओर से दायर याचिका पर दिया।
कोर्ट ने लगाया भारी-भरकम जुर्माना-
अदालत ने माना कि चेन्नामनेनी रमेश जर्मन दूतावास से ऐसे दस्तावेज अदालत के सामने पेश करने में फेल रहे कि वे अब उस देश (GERMANY) के नागरिक नहीं हैं। अदालत ने रमेश पर 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। इसमें से 25 लाख रुपये आदी श्रीनिवास को दिए जाएंगे। श्रीनिवास ने नवंबर 2023 में रमेश को विधानसभा चुनाव में हरा दिया था।
अदालत के फैसले के बाद कांग्रेस नेता आदी श्रीनिवास ने X पर पोस्ट कर कहा, “पूर्व विधायक चेन्नामनेनी रमेश पर 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया, वह जर्मन नागरिक के तौर पर झूठे दस्तावेजों के आधार पर विधायक चुने गए थे।”
चार बार चुनाव जीत चुके हैं रमेश-
रमेश वेमुलावाड़ा सीट से चार बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं। 2009 में उन्होंने टीडीपी TDP के टिकट पर चुनाव जीता था जबकि 2010 से 2018 तक तीन बार बीआरएस BRS के टिकट पर विधायक चुने गए।
कानून के मुताबिक, गैर-भारतीय नागरिक चुनाव नहीं लड़ सकते और वोट भी नहीं दे सकते।
साल 2020 में केंद्र सरकार ने तेलंगाना हाई कोर्ट को बताया था कि रमेश के पास जर्मन पासपोर्ट था और यह 2023 तक वैध था। इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आदेश जारी कर कहा था कि रमेश की भारतीय नागरिकता को समाप्त कर दिया जाए क्योंकि उन्होंने अपने आवेदन में जानकारी को छुपाया है। गृह मंत्रालय ने कहा था कि रमेश ने गलत बयान/तथ्यों को छिपाकर भारत सरकार को गुमराह किया है। अगर उन्होंने बताया होता कि आवेदन करने से पहले वे एक साल तक भारत में नहीं रहे थे तो मंत्रालय उन्हें नागरिकता नहीं देता।
इसके बाद रमेश ने गृह मंत्रालय के आदेश को अदालत में चुनौती दी थी। अदालत ने उनसे कहा था कि वह एक हलफनामा दाखिल करें जिसमें इस बात की जानकारी दें कि उन्होंने अपना जर्मनी का पासपोर्ट सरेंडर कर दिया है और इस बात का भी सुबूत दें कि उन्होंने जर्मनी की नागरिकता छोड़ दी है।
2013 में अविभाजित आंध्र प्रदेश की हाई कोर्ट ने रमेश को उपचुनाव में मिली जीत को रद्द कर दिया था। इसके बाद रमेश सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे और वहां से हाई कोर्ट के आदेश पर स्टे की मांग की थी।
स्टे के लगे रहने तक उन्होंने 2014 और 2018 का विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी। 2023 के चुनाव में वह हार गए थे।