यह हिंदुस्तान है, यह देश हिंदुस्तान में रहने वाले बहुसंख्यकों की इच्छा के अनुसार काम करेगा – जस्टिस शेखर

J SHEKHAR

Allahabad High Court Justice Shekhar Yadav: जस्टिस शेखर कुमार यादव ने कहा कि शास्त्रों और वेदों जैसे हिंदू धर्मग्रंथों में महिलाओं को देवी के रूप में पूजा जाता है, फिर भी एक समुदाय के सदस्य कई पत्नियां रखने, हलाला HALALA करने या तीन तलाक TRIPLE TALAQ का अधिकार मांगते हैं।

Allahabad High Court Justice Shekhar Yadav: इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव ने रविवार को वीएचपी VISHWA HINDU PARISHAD के कार्यक्रम में ऐसा बयान दिया, जिसकी हर तरफ चर्चा हो रही है। यहां पर उन्होंने कहा कि यह मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि यह हिंदुस्तान है, यह देश हिंदुस्तान में रहने वाले बहुसंख्यकों की इच्छा के अनुसार काम करेगा। अपने संबोधन में उन्होंने सवाल उठाया कि हिंदू धर्म में अस्पृश्यता, सती प्रथा और जौहर जैसी प्रथाओं को खत्म कर दिया गया, जबकि मुस्लिम समुदाय में कई पत्नियां रखने की प्रथा अभी भी जारी है।

मिडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस शेखर यादव ने कहा, ‘मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि यह हिंदुस्तान है, यह देश हिंदुस्तान में रहने वाले बहुसंख्यकों की इच्छा के अनुसार काम करेगा। यह कानून है। आप यह नहीं कह सकते कि आप हाईकोर्ट के जज होने के नाते ऐसा कह रहे हैं। दरअसल कानून बहुमत के हिसाब से काम करता है। इसे परिवार या समाज के संदर्भ में देखें। केवल वही स्वीकार किया जाएगा जिससे बहुसंख्यकों का कल्याण और खुशी हो।’

जस्टिस शेखर यादव ने कहा-

“गाय, गीता और गंगा जहां की संस्कृति, हरबाला देवी की प्रतिमा, और बच्चा बच्चा राम है, ऐसा मेरा देश है।”

ALSO READ -  वीर सावरकर पर टिप्पणी को लेकर सुप्रीम कोर्ट की राहुल गांधी को कड़ी फटकार, समन पर रोक लेकिन चेतावनी स्पष्ट

उन्होंने यह भी कहा कि गंगा में डुबकी लगाने या चंदन लगाने वाला व्यक्ति ही हिंदू होने की एकमात्र परिभाषा नहीं है, जो कोई भी इस भूमि को अपनी मां मानता है, जो संकट के समय देश के लिए अपनी जान देने को तैयार है, चाहे वह किसी भी धार्मिक प्रथा या विश्वास का पालन करता हो, चाहे वह कुरान या बाइबिल का पालन करता हो, वह हिंदू है।

उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि हमारे हिंदू धर्म में बाल विवाह, सती प्रथा और बालिकाओं की हत्या जैसी कई सामाजिक बुराइयां भी थीं, लेकिन राम मोहन राय जैसे सुधारकों ने इन प्रथाओं को समाप्त करने के लिए संघर्ष किया।

हालांकि, उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय में व्याप्त सामाजिक बुराइयों जैसे हलाला, तीन तलाक और गोद लेने से जुड़े मुद्दों पर उनके पास इनके खिलाफ खड़े होने की हिम्मत नहीं है या यूं कहें कि इन मुद्दों को लेकर मुस्लिम समुदाय की ओर से कोई पहल नहीं हुई। अपने संबोधन में उन्होंने यह भी कहा कि मुसलमानों से यह अपेक्षा नहीं की जाती कि वे अग्नि के चारों ओर सात फेरे लेकर विवाह करें, या गंगा में डुबकी लगाएं या चंदन लगाएं। हालांकि, उन्होंने कहा कि उनसे यह अपेक्षा की जाती है कि वे इस देश की संस्कृति, महापुरुषों और इस भूमि के भगवान का अपमान न करें।

हिंदू धर्मग्रंथों में महिलाओं को देवी के तौर पर पूजते- जस्टिस शेखर

जस्टिस शेखर ने आगे बताया कि शास्त्रों और वेदों जैसे हिंदू धर्मग्रंथों में महिलाओं को देवी के रूप में पूजा जाता है, फिर भी एक समुदाय के सदस्य कई पत्नियां रखने, हलाला करने या तीन तलाक का अधिकार मांगते हैं। उन्होंने कहा, ‘आप उस महिला का अपमान नहीं कर सकते जिसे हमारे शास्त्रों और वेदों में देवी के तौर पर मान्यता दी गई है। आप चार पत्नियां रखने, हलाला करने या तीन तलाक का अधिकार नहीं मांग सकते। आप कहते हैं, हमें ट्रिपल तलाक कहने का अधिकार है और महिलाओं को भरण-पोषण नहीं देना है। यह अधिकार काम नहीं करेगा। UCC ऐसा कुछ नहीं है जिसकी VHP, RSS या हिंदू धर्म वकालत करता है। देश का सुप्रीम कोर्ट अदालत भी इसकी बात करती है।’

ALSO READ -  सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार से बड़ा सवाल पूछा कि राज्य किसी व्यक्ति को बचाने की कोशिश क्यों कर रहा है

राजा राम मोहन राय का भी दिया उदाहरण-

इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस ने यह भी कहा कि हिंदू धर्म में बाल विवाह, सती प्रथा और बालिकाओं की हत्या जैसी कई सामाजिक बुराइयां थीं, लेकिन राम मोहन राय जैसे सुधारकों ने इन प्रथाओं को खत्म करने के लिए काफी मेहनत की। हालांकि, उन्होंने कहा कि जब मुस्लिम समुदाय में हलाला, तीन तलाक और गोद लेने से संबंधित सामाजिक बुराइयों की बात आती है, तो उनके खिलाफ खड़े होने का उनमें कोई साहस नहीं है या यह कहा जा सकता है कि इन मुद्दों को हल करने के लिए मुस्लिम समुदाय की ओर से कोई पहल नहीं हुई।

Translate »