मृत शरीर से रेप ‘अप्राकृतिक अपराध’ नहीं, देश में ‘नेक्रोफीलिया’ पर कोई भी सजा नहीं- HC

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भारत में रेप की सजा पर आईपीसी IPC में सख्त कानून हैं, जो गुनहगार को कड़ी सजा का प्रावधान करते हैं लेकिन आप ये जानकर हैरान हो जाएंगे कि नेक्रोफीलिया Necrophilia के लिए कोई सजा नहीं है। यानी अगर कोई दरिंदा किसी लाश से यौन संबंध बनाता है तो उसके ऊपर रेप या यौन हमले का चार्ज नहीं लगेगा।

कर्नाटक उच्च न्यायलय ने एक शव के साथ बलात्कार के आरोपी को हत्या का दोषी करार दिया है। जबकि देश में शव के साथ बलात्कार पर कानून न होने का हवाला देते हुए उसे इस मामले में बरी कर दिया। यह मामला 25 जून 2015 का था। जहां आरोपी ने 21 साल की लड़की की हत्या करने के बाद उसके मृत शरीर के साथ बलात्कार किया।

न्यायमूर्ति बी वीरप्पा और न्यायमूर्ति वेंकटेश नाइक की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आरोपी पर बलात्कार का चार्ज नहीं लगाया जा सकता। आईपीसी IPC की सेक्शन 302 के तहत मुजरिम को उम्रकैद की सजा सुनाई गयी है। इसके साथ ही ₹50,000 का जुर्माना भी लगाया गया है।

इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से देश में एक नए कानून की जरूरत की बात कहके बड़ी बहस भी छेड़ दी है।

कर्नाटक हाईकोर्ट ने 30 मई 2023 को अपने फैसले में कहा, शव का यौन उत्पीड़न भारतीय दंड संहिता IPC के तहत बलात्कार या अप्राकृतिक अपराध के दायरे में नहीं आता है। कोर्ट के इस फैसले के बाद मानव शव की गरिमा के अधिकार पर बहस छिड़ गई है।

जाने क्या है मामला ?

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वर्ष 2015 में कर्नाटक के तुमकुरु जिले में 21 साल की लड़की का मर्डर करने के बाद उसके साथ रेप किया गया। सेशन कोर्ट ने आरोपी को मर्डर और रेप का दोषी माना। इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की गई, जहां सिंगल बेंच ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा।

मामला डबल बेंच में पहुंचा, कोर्ट ने मर्डर का चार्ज तो बरकरार रखा लेकिन रेप के आरोप से यह कहते हुए बरी कर दिया कि इसने जो किया वह नेक्रोफीलिया Necrophilia की श्रेणी में आता है और यह IPC के तहत अपराध नहीं है।

न्यायमूर्ति बी वीरप्पा और न्यायमूर्ति वेंकटेश नाइक की बेंच ने कहा, दुर्भाग्य से, भारत में नेक्रोफीलिया के खिलाफ कोई कानून नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार से नेक्रोफीलिया Necrophilia को अपराध की श्रेणी में लाने के लिए IPC में बदलाव करने का या नया कानून बनाने की अपील की।

जाने मृत शरीर से संबंध क्यों नहीं है रेप ?

रेप के आरोप के साथ ही कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि यह मामला 377 के तहत अप्राकृतिक अपराध की श्रेणी में भी नहीं आएगा। बेंच ने कहा, पीठ ने कहा, “IPC की धारा 375 और 377 को सावधानीपूर्वक पढ़ने से यह स्पष्ट होता है कि एक मृत शरीर को इंसान या व्यक्ति नहीं कहा जा सकता है।। इसलिए, धारा 375 या 377 के प्रावधान लागू नहीं होंगे।”

क्या है नेक्रोफीलिया Necrophilia?

नेक्रोफीलिया शब्द का इस्तेमाल ऐसे व्यक्तियों के बारे में बताने के लिए किया जाता है, जो मुर्दों के साथ यौन गतिविधियों में शामिल होते हैं या फिर मुर्दों के साथ यौनाकर्षण रखते हैं। नेक्रोफीलिया Necrophilia के साथ कई अन्य वीभत्स व्यवहार वाले पैराफिलिया भी हो सकते हैं। इनमें दूसरों को तकलीफ पहुंचाना, इंसानी मांस खाना या फिर मृतकों का मांस खाना शामिल हो सकता है।

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“नेक्रोफिलिया” शब्द ग्रीक शब्द “फीलियोस” (आकर्षण / प्यार) और “नेक्रोस” (मृत शरीर) से लिया गया है। इसे बेल्जियन एलियनिस्ट जोसेफ गुइस्लेन ने पहली बार इस्तेमाल किया था। 19 वीं शताब्दी में इस शब्द को लोकप्रियता मिली।

बलात्कार और नेक्रोफिलिया में अंतर-

हाईकोर्ट ने बलात्कार और नेक्रोफिलिया में अंतर बताते हुए कहा कि बलात्कार जीवित व्यक्ति के साथ हो सकता है, शव के साथ नहीं। जीवित व्यक्ति के अंदर भावना होती है, मृतकों में नहीं। इस कारण मरे हुए व्यक्ति के साथ बलात्कार को नेक्रोफीलिया Necrophilia कहते हैं।

क्या कहते हैं नेक्रोफिलिया से जुड़े अध्ययन-

जर्मनी की रिसर्च गेट (वैज्ञानिक के रिसर्च पेपर को संग्रहित और प्रकाशक) के मुताबिक 1989 में जोनाथन रोसमैन और फिलिप रेसनिक ने नेक्रोफीलिया Necrophilia से संबंधित 122 मामलों की समीक्षा की थी। इसमें उनके उद्देश्यों का पता लगाया गया था। नेक्रोफिलिया को यहां एक मानसिक बीमारी माना गया। ऐसे मरीज कई कारणों से मृत शरीर के साथ सेक्स करते हैं। उनका मकसद एक ऐसे साथी पर कब्जा करना है, जो उनका विरोध या अस्वीकार करने में असमर्थ है। अध्ययन के मुताबिक इनमें 68 प्रतिशत मामलों में गैर-विरोध और गैर-अस्वीकार करने वाले साथी की इच्छा से प्रेरित थे। 21 प्रतिशत अपने खोए हुए साथी के साथ पुनर्मिलन की इच्छा से प्रेरित थे। 15 प्रतिशत लोग मृत लोगों के प्रति यौन आकर्षण से प्रेरित थे। 15 प्रतिशत आराम की इच्छा या अलगाव की भावनाओं को दूर करने के लिए प्रेरित थे और 12 प्रतिशत एक लाश पर अपनी ताकत दिखाकर अपने आत्मसम्मान को मापने की इच्छा से प्रेरित थे।

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10 लाख लोगों में एक को होता है नेक्रोफिलिया?

सबसे बड़ी बात यह है कि इस बीमारी से संबंधित अभी तक पीड़ितों का कोई आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। लेकिन, रोसमैन और रेसनिक के रिसर्च के आधार पर एक अनुमान के मुताबिक प्रति 10 लाख लोगों में से कोई एक इस बीमारी से पीड़ित होता है। इसके मुताबिक नेक्रोफीलिया Necrophilia से पीड़ित लोगों में 92 प्रतिशत पुरुष और 8 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं।

नेक्रोफीलिया पर इन देशो में है सजा-

ब्रिटेन में शवों के साथ किसी भी तरह का यौन संबंध या अनुचित शारीरिक आचरण कानून के खिलाफ है। इस मामले में दोषी ठहराए जाने पर छह महीने से लेकर दो साल तक जेल या जुर्माना हो सकता है। कनाडा, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका में भी नेक्रोफीलिया के खिलाफ कानून मौजूद हैं। कनाड में नेक्रोफीलिया Necrophilia शब्द का इस्तेमाल किए बिना कहा गया है कि मृत शरीर की गरिमा को नुकसान पहुंचाने पर अधिकतम 5 साल की सजा हो सकती है। वहीं। न्यूजीलैंड में अधिकतम 2 साल की सजा का प्रावधान है।

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