SCBA चुनाव परिणाम सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, पूर्व अध्यक्ष डॉ. आदिश अग्रवाला ने लगाए 200 अवैध वोटों के धांधली का आरोप
⚖️ पूर्व अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की याचिका, चुनाव में 200 अवैध वोटों का आरोप
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के हालिया चुनाव परिणामों को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. आदिश अग्रवाला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मतदान प्रक्रिया में अनियमितताओं और धांधली के गंभीर आरोप लगाए हैं। अग्रवाला ने चुनाव में करीब 200 अवैध वोट डाले जाने का दावा करते हुए चुनाव परिणाम को रद्द करने की मांग की है।
🧑⚖️ विशेष पीठ ही करेगी सुनवाई: न्यायमूर्ति सूर्यकांत
मामला मंगलवार को न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष उल्लेखित किया गया। हालांकि, न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया कि यह याचिका केवल उसी विशेष पीठ के समक्ष सुनी जा सकती है जिसमें न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन शामिल हैं। यह वही पीठ है जो पूर्व में SCBA चुनावों से जुड़े मामलों की निगरानी कर चुकी है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा:
“स्पेशल बेंच का इंतजार कीजिए… देखिए जस्टिस विश्वनाथन कब बैठते हैं, मैं उसी हफ्ते बैठूंगा। आज लिस्टिंग का सवाल ही नहीं है। कोई आसमान नहीं टूट पड़ेगा।”
📥 चुनाव प्रक्रिया में ‘गंभीर उल्लंघन’: अग्रवाला का दावा
683 मतों के साथ पराजित हुए डॉ. अग्रवाला ने आरोप लगाया कि अध्यक्ष पद पर ऐसे व्यक्ति को विजेता घोषित किया गया, जो इस पद के लिए योग्य ही नहीं था। उल्लेखनीय है कि वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने इस चुनाव में 1,047 वोट पाकर चौथी बार अध्यक्ष पद पर जीत दर्ज की है।
डॉ. अग्रवाला की याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि:
- चुनाव आयुक्त सीनियर एडवोकेट महालक्ष्मी पावनी ने विकास सिंह के पक्ष में प्रचार किया, जो निष्पक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन है।
- मतदान की कुल संख्या चुनाव अधिकारियों द्वारा जारी बैलेट पेपर और पर्चियों की संख्या से अधिक थी, जिससे मतगणना की पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं।
- चुनाव प्रक्रिया में धोखाधड़ी और अन्य प्रशासनिक अनियमितताएं हुईं।
- विकास सिंह ने प्रचार की निर्धारित समयसीमा के बाद भी ईमेल भेजे, जो आचार संहिता का उल्लंघन है।
🧾 न्यायालय की सलाह: प्रतिवादी को कॉपी दीजिए, हलफनामे के साथ समर्थन कीजिए
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वे विधिवत याचिका दाखिल करें, प्रतिवादी पक्ष को याचिका की प्रति दें, और सभी आरोपों को शपथपत्र के माध्यम से प्रमाणित करें। उन्होंने कहा:
“अगर हमें संतोष हुआ, तो हम चुनाव को रद्द कर देंगे।”
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