फ्रैंकलिन टेम्पलटन ने निवेशकों के डर को दूर करते हुए कहा कि सेबी द्वारा कंपनी पर नई ऋण योजनाओं की पेशकश से रोक लगाने के कारण उसके द्वारा प्रबंधित मौजूदा योजनाओं पर कोई असर नहीं होगा।
सेबी ने सोमवार को फ्रैंकलिन टेम्पलटन एसेट मैनेजमेंट कंपनी (इंडिया) पर दो साल तक कोई नई ऋण योजना लाने पर रोक लगा दी। इसके अलावा छह ऋण योजनाओं को बंद करने के मामले में नियामकीय नियमों के उल्लंघन के लिए कंपनी पर पांच करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
साथ ही कंपनी से छह ऋण योजनाओं के संदर्भ में निवेश प्रबंधन और परामर्श शुल्क के रूप में जुटाए गए 512 करोड़ रुपये ब्याज सहित लौटाने को भी कहा है।
सेबी के आदेश के अनुसार इस राशि का इस्तेमाल यूनिटधारकों को भुगतान के लिए किया जाएगा। सेबी का कहना है कि फ्रेंकलिन टेम्पलटन एएमसी द्वारा योजना के वर्गीकरण में गंभीर खामियां हैं और कंपनी ने निर्गम विकल्प का उपयोग नहीं करके नियमों का उल्लंघन किया है।
हालांकि, फ्रैंकलिन टेम्पलटन एसेट मैनेजमेंट (इंडिया) ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के आदेश को प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) में चुनौती देने का फैसला किया है।
फ्रैंकलिन टेम्पलटन एएमसी के अध्यक्ष संजय सप्रे ने आठ जून को निवेशकों को भेजे एक ई-मेल में कहा कि सेबी के आदेश से छह ऋण योजनाओं की मौजूदा मुद्रीकरण प्रक्रिया पर कोई असर नहीं होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘आदेश फ्रैंकलिन टेम्पलटन द्वारा प्रबंधित अन्य ऋण, इक्विटी, हाइब्रिड और ऑफशोर योजनाओं से संबंधित नहीं है और इसका कोई प्रभाव नहीं होगा।’’