CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने सोमवार को दिन की कार्यवाही की शुरुआत में कहा कि ‘आज से शुक्रवार तक सुप्रीम कोर्ट की लोक अदालत होगी और उसमें सात पीठ बैठेंगी।’
सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार विवादों के सौहार्दपूर्ण तरीके से समाधान के लिए सोमवार को दोपहर दो बजे से विशेष लोक अदालत की शुरुआत की, जिसमें मीडिया कैमरों को भी अदालत कक्षों के अंदर जाने की अनुमति दी गई है। 29 जुलाई से लेकर 3 अगस्त तक चलने वाली इस विशेष लोक अदालत में हजारों मामले निपटने की उम्मीद है।
विवादों का होगा निपटारा
जानकारी हो कि सुप्रीम कोर्ट अपनी 75वीं वर्षगांठ पर पहली बार पांच दिवसीय विशेष लोक अदालत का आयोजन कर रहा है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली अदालत सहित सुप्रीम कोर्ट की सात अदालतों में विशेष लोक अदालतें लगेंगी जो मध्यस्थता करते हुए पक्षकारों की रजामंदी से विवादों को निपटाएंगी।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने क्या कहा?
वहीं, CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय की पहली सात पीठें दोपहर दो बजे विशेष लोक अदालत में मामलों की सुनवाई करेंगी। उन्होंने कहा कि विशेष लोक अदालत का मुख्य उद्देश्य कोर्ट में लंबित मामले को कम करना है।
प्रधान न्यायाधीश ने नागरिकों से की ये अपील
शीर्ष न्यायाधीश ने इससे पहले लोगों से विशेष लोक अदालत में आने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा था कि लोक अदालत हमारे नागरिकों से संबंधित मामलों को पूरी तरह से स्वैच्छिक, सहमतिपूर्ण तरीके से उनकी संतुष्टि के अनुसार हल करने के लिए एक बहुत ही अनौपचारिक प्रौद्योगिकी-आधारित समाधान का प्रतिनिधित्व करती है। उन्होंने शीर्ष अदालत में लंबित मामलों को लेकर कहा कि लोग इसका लाभ उठाएं।
विशेष लोक अदालत में इन मामलों का होगा निपटारा
मालूम हो कि विशेष लोक अदालत में वैवाहिक विवाद, संपत्ति विवाद, मोटर दुर्घटना दावा, जमीन अधिग्रहण, मुआवजा, सर्विस और लेबर आदि मामलों का निपटारा किया जाएगा। लोक अदालतें मध्यस्थता के जरिए विवाद के हल का मंच उपलब्ध करा लंबित मामलों के सौहार्दपूर्ण समाधान की राह बनाती हैं।
‘लोक अदालतें देश की न्यायिक प्रणाली का अभिन्न अंग’
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ‘अपने सभी सहयोगियों और सुप्रीम कोर्ट के कर्मचारियों की ओर से, मैं उन सभी नागरिकों से अपील करता हूं, जिनके पास सुप्रीम कोर्ट में मामले हैं, या वकील, अधिवक्ता, रिकॉर्ड पर हैं, वे इस अवसर का लाभ उठाएं और मामलों को तेजी से हल करने का प्रयास करें, जो हर प्रतियोगी पक्ष को स्वीकार्य हो।
उन्होंने कहा कि ‘लोक अदालतें देश की न्यायिक प्रणाली का एक अभिन्न अंग हैं, जो सौहार्दपूर्ण समझौतों को बढ़ावा देने और तेजी लाने के साधन के रूप में वैकल्पिक विवाद समाधान को बढ़ाती हैं। वैवाहिक विवाद, संपत्ति विवाद, मोटर दुर्घटना दावे, भूमि अधिग्रहण, मुआवजा, सेवा और श्रम से संबंधित मामले जो शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित हैं, उन्हें शीघ्र निपटान की सुविधा के लिए लिया जाएगा।