शाही जामा मस्जिद विवाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा सर्वे के आदेश को बरकरार रखा, मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज

Allahabad High Court Landmark

 

शाही जामा मस्जिद विवाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा सर्वे के आदेश को बरकरार रखा, मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज

उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले में स्थित शाही जामा मस्जिद के संबंध में चल रहे विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए ट्रायल कोर्ट के सर्वे आदेश को वैध ठहराया। मुस्लिम पक्ष द्वारा दायर वह याचिका, जिसमें ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की गई थी, उसे अदालत ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि ट्रायल कोर्ट के आदेश में कोई त्रुटि नहीं है।

यह मामला संभल ज़िले की हरिहर मंदिर और शाही जामा मस्जिद के बीच चल रहे भूमि विवाद से जुड़ा है। इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि हाईकोर्ट ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन), चंदौसी द्वारा 19 नवंबर को नियुक्त किए गए सर्वे आयुक्त की वैधता पर उठाई गई तमाम आपत्तियों को अस्वीकार कर दिया है।

जैन ने ANI से बातचीत में कहा, “यह इलाहाबाद हाईकोर्ट का एक अत्यंत महत्वपूर्ण निर्णय है। जो लोग यह प्रचार कर रहे थे कि मस्जिद कमेटी को सुने बिना सर्वे आयुक्त की नियुक्ति त्रुटिपूर्ण थी, उनकी यह कानूनी दलील आज पूरी तरह से खारिज कर दी गई है।”

उन्होंने स्पष्ट किया कि सीपीसी के आदेश 26, नियम 9 और 10 के तहत न्यायालय के पास सर्वे आयुक्त नियुक्त करने की विधिक शक्ति है, और नियुक्ति के समय किसी पक्ष को सुनना अनिवार्य नहीं है। “सर्वे के समय यह सुनिश्चित किया गया था कि दोनों पक्षों की उपस्थिति में कार्यवाही हो — जो 19 और 24 नवंबर दोनों दिन पालन की गई,” उन्होंने जोड़ा।

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उन्होंने उन वरिष्ठ वकीलों और सांसदों की भी आलोचना की, जिन्होंने इस प्रक्रिया की वैधता पर सवाल उठाए थे। जैन ने कहा, “आज के इस सुविचारित निर्णय ने उन सभी आशंकाओं पर पूर्णविराम लगा दिया है।”

हाईकोर्ट के इस निर्णय के बाद अब ट्रायल कोर्ट में कार्यवाही आगे बढ़ेगी। जैन ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में ‘पूजा स्थल अधिनियम, 1991’ और सुप्रीम कोर्ट का 12 दिसंबर का आदेश लागू नहीं होता, क्योंकि यह एक एएसआई संरक्षित स्मारक है और वर्ष 1958 से प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल अधिनियम (ASI Act, 1958) के अंतर्गत आता है।

हिंदू पक्ष की ओर से अधिवक्ता हरी शंकर जैन ने कहा, “कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी है और कहा कि सर्वे प्रक्रिया वैध थी। अब सर्वे रिपोर्ट को रिकॉर्ड में शामिल किया जाएगा। अगर वह सुप्रीम कोर्ट जाते हैं, तो हम कानूनी रूप से उनका स्वागत करेंगे।”

मस्जिद प्रबंधन समिति ने ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने हेतु एक पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। इससे पहले, 29 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद समिति को यूपी सरकार द्वारा दाखिल स्थिति रिपोर्ट पर जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया था, जिसमें कहा गया था कि विवादित कुआं मस्जिद परिसर के बाहर स्थित है

ज्ञात हो कि नवंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाई थी और कहा था कि जब तक मस्जिद कमेटी की याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में सूचीबद्ध नहीं होती, तब तक मामला नहीं सुना जाएगा।

19 नवंबर को स्थानीय अदालत द्वारा सर्वे का आदेश दिए जाने के बाद संभल में तनाव व्याप्त हो गया था। विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस से झड़प हुई, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी।

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यह विवाद उस याचिका से उत्पन्न हुआ जिसमें दावा किया गया कि जिस स्थल पर आज मस्जिद स्थित है, वहां पूर्व में एक हरिहर मंदिर था, जो भगवान विष्णु के अंतिम अवतार कल्कि को समर्पित था और वर्ष 1526 में ध्वस्त कर मस्जिद का निर्माण किया गया

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