केजरीवाल सरकार को सर्वोच्च न्यायलय से झटका, मार्शल योजना से जुड़ी याचिका पर सुनवाई से इनकार

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सर्वोच्च न्यायलय SUPREME COURT ने डीटीसी बसों DTC BUS में मार्शल के रूप में काम करने वाले सभी नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों की सेवाएं समाप्त करने के उपराज्यपाल वी.के सक्सेना के फैसले को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर विचार करने से गुरुवार को इनकार कर दिया।

चीफ जस्टिस डी.वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जे बी पारदीवाला व जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने आम आदमी पार्टी की सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी की दलीलों पर ध्यान दिया और उनसे याचिका पर जल्दी सुनवाी के लिए दिल्ली हाईकोर्ट जाने को कहा।

मिडिया रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट में सिंघवी ने कहा कि सरकार की लोकप्रियता बढ़ाने वाली सभी अच्छी योजनाएं रोकी जा रही हैं। क्या यह (मार्शलों की सेवाएं समाप्त करना) एलजी के अंतर्गत आता है? वह इसे कैसे रोक सकते हैं?

इस पर सीजेआई ने कहा कि हमें संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस पर विचार क्यों करना चाहिए? दिल्ली हाईकोर्ट को इससे निपटने दीजिए। हम पहले ही संवैधानिक मामलों (सेवाओं पर नियंत्रण के लिए सरकार और एलजी के बीच कानूनी खींचतान) से निपट चुके हैं। याचिका में बस मार्शल योजना को फिर से चालू करने की मांग की गई है। हमारे विचार में, उचित उपाय हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा। यदि याचिकाकर्ता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाता है तो इस पर जल्दी सुनवाई होगी।

जानकरी हो कि एलजी वीके सक्सेना ने 27 अक्टूबर को 1 नवंबर से सभी नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों की सेवाएं समाप्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। सक्सेना ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उन नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों की भर्ती पर विचार करने का भी निर्देश दिया था जिनकी सेवाएं होम गार्ड के रूप में समाप्त कर दी गई थीं।

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यह घटनाक्रम तब हुआ जब मुख्यमंत्री ने दिल्ली के गृह मंत्री कैलाश गहलोत से नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों को होम गार्ड के रूप में नियुक्त करने और उन्हें बस मार्शल के रूप में नियुक्त करने के लिए कहा था।

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