सोनू निगम पहुंचे कर्नाटक हाईकोर्ट: कन्नड़ समुदाय पर टिप्पणी को लेकर दर्ज FIR रद्द करने की मांग

सोनू निगम पहुंचे कर्नाटक हाईकोर्ट: कन्नड़ समुदाय पर टिप्पणी को लेकर दर्ज FIR रद्द करने की मांग

सोनू निगम पहुंचे कर्नाटक हाईकोर्ट: कन्नड़ समुदाय पर टिप्पणी को लेकर दर्ज FIR रद्द करने की मांग
15 मई को अगली सुनवाई, FIR में भड़काऊ बयान, अपमानजनक टिप्पणी और सार्वजनिक शांति भंग का आरोप

बेंगलुरु: प्रसिद्ध गायक सोनू निगम ने कर्नाटक हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल कर उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को रद्द करने की मांग की है। ये मामले उस विवादित बयान से जुड़े हैं जो उन्होंने 22 अप्रैल को बेंगलुरु में एक संगीत कार्यक्रम के दौरान दिया था, और जिसे कन्नड़ समुदाय की भावनाओं को आहत करने वाला बताया गया है।

याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद कर्नाटक हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 15 मई 2025 को तय की है।


विवाद की पृष्ठभूमि: भाषण से भड़की भावनाएं, दर्ज हुई FIR

सोनू निगम के बयान के बाद बेंगलुरु के अवलाहल्ली पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई गई, जिसके आधार पर पुलिस ने उनके खिलाफ FIR दर्ज की। प्राथमिकी 3 मई को दर्ज की गई, जिसमें आईपीसी की विभिन्न धाराएं लगाई गईं, जिनमें शामिल हैं:

  • धारा 351(2) – आपराधिक धमकी,
  • धारा 352(1) – जानबूझकर अपमान, जिससे शांति भंग हो सकती है,
  • धारा 353 – सार्वजनिक शरारत के लिए उकसावा।

शिकायत कर्नाटक रक्षा वेदिका की बेंगलुरु शहरी जिला इकाई के अध्यक्ष धर्मराज ए. ने की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि निगम की टिप्पणियों ने कन्नड़ समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाई और विभिन्न भाषायी समुदायों के बीच तनाव उत्पन्न करने की संभावना पैदा की।


पुलिस नोटिस के बावजूद जवाब नहीं, दूसरी बार तलब

FIR दर्ज होने के बाद पुलिस ने सोनू निगम को नोटिस जारी कर सात दिनों के भीतर जवाब देने को कहा था। जवाब न मिलने पर उन्हें दूसरा नोटिस भेजा गया, जिसमें साक्षात्कार के लिए उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है।

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जांच का केंद्र वह वीडियो है जो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें निगम कथित रूप से विवादास्पद टिप्पणी करते देखे गए थे।


सोनू निगम ने दी सार्वजनिक माफी: “कर्नाटक, माफ करना”

FIR के बाद गायक सोनू निगम ने 5 मई को सोशल मीडिया पर एक सार्वजनिक माफीनामा जारी किया। उन्होंने लिखा:

“सॉरी कर्नाटक। मेरा प्यार तुमसे मेरे अहं से बड़ा है। हमेशा तुम्हें चाहता रहूंगा।”

उन्होंने कहा कि यदि उनकी बातों से किसी को ठेस पहुंची है तो उन्हें गहरा खेद है, और उन्होंने अपने कर्नाटक के प्रशंसकों के प्रति प्रेम को प्राथमिकता दी है।


अदालत में तर्क: भाषण की स्वतंत्रता बनाम सार्वजनिक भावनाएं

सोनू निगम की याचिका में कहा गया है कि उनके बयान को गलत संदर्भ में लिया गया और यह मामला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के तहत आता है। वहीं शिकायतकर्ता पक्ष इसे सांस्कृतिक अस्मिता पर हमला बता रहा है।

मामला अब हाईकोर्ट के समक्ष विचाराधीन है, जिसमें न्यायालय को तय करना है कि सार्वजनिक हस्ती द्वारा दी गई टिप्पणी को आपराधिक कृत्य की श्रेणी में रखा जाए या संवैधानिक अधिकार के तहत संरक्षण दिया जाए।


आगे की राह: हाईकोर्ट की सुनवाई महत्वपूर्ण

अब सभी की निगाहें 15 मई को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जिसमें यह स्पष्ट होगा कि क्या हाईकोर्ट FIR को रद्द करेगा या पुलिस जांच को आगे बढ़ाने की अनुमति देगा।

यह मामला सेलिब्रिटी भाषणों, सामाजिक भावना और कानूनी जिम्मेदारी के बीच संतुलन पर एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन सकता है।

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