पूर्व CJI न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ से आधिकारिक आवास खाली कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने भेजा मंत्रालय को पत्र

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पूर्व CJI न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ से आधिकारिक आवास खाली कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने भेजा मंत्रालय को पत्र
— विधि संवाददाता

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने पूर्व प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ से उनके द्वारा अधिभोग में रखे गए आधिकारिक आवास बंगलो नंबर 5, कृष्ण मेनन मार्ग को तत्काल खाली कराने के लिए आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय को औपचारिक रूप से पत्र लिखा है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने न्यायालय के नियमों के तहत अनुमत समयावधि समाप्त होने के बावजूद आवास पर कब्जा बनाए रखा है।

🔹 नियमों का उल्लंघन: छह महीने की सीमा समाप्त

1 जुलाई को मंत्रालय को लिखे गए पत्र में सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने कहा:

“मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि बंगलो नंबर 5, कृष्ण मेनन मार्ग को न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ से बिना किसी और विलंब के कब्जे में लें, क्योंकि अनुमति की अवधि 31 मई 2025 को समाप्त हो चुकी है, और 2022 नियमों के नियम 3B के अंतर्गत दिए गए **छह महीने की वैध समयावधि 10 मई 2025 को ही समाप्त हो चुकी है।”

🔹 नियम 3B क्या कहता है?

सुप्रीम कोर्ट जजेज़ रूल्स, 2022 के नियम 3B के तहत कोई भी सेवानिवृत्त प्रधान न्यायाधीश अपने सेवानिवृत्ति के बाद अधिकतम छह महीने तक आधिकारिक आवास का उपयोग कर सकता है। इस नियम के अंतर्गत पूर्व CJI को बंगलो का उपयोग 10 मई 2025 तक ही करना था। इसके बाद प्रशासन द्वारा 31 मई तक विशेष अनुमति दी गई थी, जो अब समाप्त हो चुकी है।

🔹 सुप्रीम कोर्ट प्रशासन की मंशा

पत्र में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यह बंगलो सुप्रीम कोर्ट के आधिकारिक हाउसिंग पूल का हिस्सा है और अब इसे अन्य आवासीय आवश्यकताओं के लिए पुनः आवंटन हेतु लौटाया जाना आवश्यक है।

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🔹 पृष्ठभूमि

न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़, जो देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश रहे, ने 10 नवंबर 2022 को पदभार ग्रहण किया था और 10 नवंबर 2024 को सेवानिवृत्त हुए। नियमों के तहत उन्हें छह महीने की अवधि के लिए आवास में रहने की अनुमति थी, जो 10 मई 2025 को समाप्त हो गई थी।

यह घटनाक्रम न्यायपालिका की पारदर्शिता और प्रशासनिक उत्तरदायित्व को दर्शाता है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट स्वयं अपने भीतर नियमों के अनुपालन पर जोर दे रहा है और उच्च पदों पर रहे व्यक्तियों से भी वैधानिक प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित करवा रहा है।

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