सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दूसरी बार तेलंगाना विधानसभा से यह स्पष्ट करने को कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) में शामिल हुए भारत राष्ट्र समिति (BRS) के विधायकों की अयोग्यता याचिका पर निर्णय लेने के लिए ‘उचित समय’ क्या होगा।
न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने मामले की सुनवाई 18 फरवरी तक स्थगित कर दी, क्योंकि तेलंगाना विधानसभा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने अदालत से समय मांगा।
BRS ने की थी याचिका, सात विधायकों की अयोग्यता पर जल्द निर्णय की मांग
सुप्रीम कोर्ट BRS पार्टी के पदाधिकारियों द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें तेलंगाना विधानसभा से सात BRS विधायकों की अयोग्यता पर जल्द निर्णय लेने की मांग की गई थी। ये सभी विधायक कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं, जो फिलहाल तेलंगाना की सत्तारूढ़ पार्टी है।
कोर्ट ने फिर पूछा— ‘उचित समय’ क्या होगा?
इससे पहले पिछली सुनवाई में भी अदालत ने तेलंगाना विधानसभा से यह पूछा था कि दलबदल करने वाले विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय लेने के लिए ‘उचित समय’ क्या होगा।
आज जब मामला फिर से उठाया गया, तो अदालत ने एक बार फिर विधानसभा के वकील से पूछा कि उनके अनुसार ‘उचित समय’ की अवधि कितनी होनी चाहिए।
लोकतंत्र में देरी से प्रभावित नहीं होने चाहिए अधिकार— सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी जोर देकर कहा कि लोकतंत्र में किसी भी राजनीतिक दल के अधिकार को इस तरह की देरी के कारण बाधित नहीं होने दिया जा सकता।
हालांकि, सीनियर वकील मुकुल रोहतगी द्वारा समय मांगने पर अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 18 फरवरी को सूचीबद्ध कर दी।
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