सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को उपराज्यपाल और केंद्र के खिलाफ दायर सात याचिकाएं वापस लेने की दी अनुमति

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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को उपराज्यपाल और केंद्र के खिलाफ दायर सात याचिकाएं वापस लेने की दी अनुमति

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार को उपराज्यपाल (LG) और केंद्र सरकार के खिलाफ आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार द्वारा दायर सभी सात याचिकाएं वापस लेने की अनुमति दे दी। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश CJI की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिया, जिसमें जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह भी शामिल थे।

क्या कहा सरकार की ओर से?
दिल्ली सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को बताया कि वे इन सात लंबित याचिकाओं को वापस लेना चाहते हैं। अदालत ने इसे अनुमति दे दी। याचिकाएं पूर्ववर्ती AAP सरकार द्वारा दायर की गई थीं, जिनमें उपराज्यपाल की विभिन्न समितियों में भूमिका, कानूनों और अध्यादेशों की वैधता को चुनौती दी गई थी।

किन मामलों को वापस लिया गया?
दिल्ली सरकार ने जिन मामलों को वापस लिया है, उनमें शामिल हैं:

  1. उपराज्यपाल की संवैधानिक भूमिका को लेकर याचिका, जिसमें यह दोहराया गया था कि LG को मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करना अनिवार्य है।
  2. दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (DERC) के अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर निर्देश मांगने वाली याचिका।
  3. गृह मंत्रालय (MHA) और LG के आदेशों को चुनौती, जिसमें सरकारी वकीलों को भुगतान, सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में अधिवक्ताओं की नियुक्ति की प्रक्रिया से संबंधित विवाद शामिल थे।
  4. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम, 2023 को चुनौती, जिसके तहत दिल्ली में ग्रुप-A अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए एक प्राधिकरण का गठन किया गया था।
  5. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका, जिसमें यमुना नदी की सफाई से जुड़ी उच्चस्तरीय समिति की अध्यक्षता उपराज्यपाल को सौंपी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर जुलाई 2023 में रोक लगाई थी।
  6. वित्त वर्ष 2023-2025 के लिए दिल्ली जल बोर्ड को स्वीकृत फंड जारी न करने के आरोप से जुड़ी याचिका।
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राजनीतिक पृष्ठभूमि और संकेत:
इन याचिकाओं की वापसी को दिल्ली में सत्ता परिवर्तन के बाद लिए गए रणनीतिक फैसले के रूप में देखा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि पहले AAP सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों और प्रशासनिक निर्णयों को लेकर बार-बार टकराव होता रहा है। अब भाजपा समर्थित सरकार द्वारा इन विवादों को खत्म करने की पहल मानी जा रही है।

न्यायालय की टिप्पणी:
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं की वापसी की अनुमति देते हुए इस पर कोई विस्तृत टिप्पणी नहीं की, लेकिन यह कदम प्रशासनिक टकराव को सुलझाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संदेश के रूप में देखा जा रहा है।

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