सुप्रीम कोर्ट ने उत्तन की बाले शाह पीर दरगाह को तोड़ने पर रोक लगाई, अगली सुनवाई 4 हफ्ते बाद
सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के उपनगरीय इलाके मीरा-भायंदर के उत्तन गांव में स्थित बाले शाह पीर दरगाह को तोड़ने की कार्रवाई पर चार हफ्तों के लिए रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बी.आर. गवई की अगुवाई वाली पीठ ने मामले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया और अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद तय की।
मामले की पृष्ठभूमि:
जमीन विवाद:
दरगाह उत्तन के चौक एरिया में करीब 1,290 वर्ग मीटर (10,000 वर्गफुट) जमीन पर बनी है।
महाराष्ट्र सरकार का दावा है कि यह जमीन राजस्व विभाग की है और दरगाह ने अवैध कब्जा कर रखा है।
सरकार ने 20 मई, 2024 तक अतिक्रमण हटाने का आदेश जारी किया था।
राजनीतिक विवाद:
राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने विधानसभा में दरगाह को गिराने की बात कही थी, जिसके बाद विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।
स्थानीय समुदाय और धार्मिक संगठनों ने हस्तक्षेप की मांग की, जिसके बाद याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
प्रशासन का रुख:
मीरा-भायंदर महानगर पालिका और जिला प्रशासन का कहना है कि यह रेवेन्यू लैंड है और धार्मिक आड़ में अवैध निर्माण बढ़ाया जा रहा है।
पहले भी कई नोटिस जारी किए गए, लेकिन अतिक्रमण हटाया नहीं गया।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश:
यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया गया।
4 हफ्ते तक कोई विध्वंस कार्रवाई नहीं होगी।
महाराष्ट्र सरकार को याचिका की प्रति जवाब देने के लिए दी गई।
अगली सुनवाई 4 हफ्ते बाद होगी।
विवाद के मुख्य बिंदु:
✔ धार्मिक vs प्रशासनिक दावा: दरगाह प्रबंधन का कहना है कि यह सदियों पुरानी धार्मिक स्थली है, जबकि सरकार इसे अवैध अतिक्रमण मानती है।
✔ महिलाओं का प्रवेश वर्जित: इस दरगाह में महिलाओं का प्रवेश प्रतिबंधित है, जिसे लेकर भी विवाद रहा है।
✔ सालाना मेले का आयोजन: यहां हर साल बड़ा मेला लगता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु आते हैं।
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