Supreme Court Collegium: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने स्थायी न्यायाधीशों की नियुक्ति की अनुशंसा की

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Supreme Court Collegium : सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने हाल ही में तेलंगाना और मद्रास उच्च न्यायालयों में स्थायी न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिश की है. CJI संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पांच जजों की कॉलेजियम ने तेलंगाना हाई कोर्ट में तीन और मद्रास हाई कोर्ट में दो स्थायी न्यायाधीशों की नियुक्ति की मांग की है. बतातें चलें कि यह निर्णय न्यायिक प्रणाली को मजबूत करने और न्यायिक कार्यवाही को तेज करने के लिए महत्वपूर्ण है. यह नियुक्तियां न्यायपालिका में अनुभव और विशेषज्ञता को बढ़ाने के लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण हैं. गौरतलब है कि केन्द्र से इन सिफारिशों पर मंजूरी मिलने के बाद सुनवाई में तेजी आएगी.

कुल 5 जजों को ‘स्थायी’ बनाने की सिफारिश

5 फरवरी के दिन कॉलेजियम की बैठक के बाद, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने तेलंगाना और मद्रास उच्च न्यायालयों में स्थायी न्यायाधीशों की नियुक्ति का प्रस्ताव दिया है. सिफारिश के अनुसार, तेलंगाना हाई कोर्ट में जस्टिस लक्ष्मी नारायण अलीशेट्टी, जस्टिस अनिल कुमार जुकांति और जस्टिस सुजना कलासिकम को स्थायी जज के रूप में नियुक्त करने की अनुशंसा की गई है. मद्रास हाई कोर्ट में जस्टिस वेंकटाचारी लक्ष्मीनारायणन और जस्टिस पेरियासामी वडामलाई को परमानेंट जज करने की मांग की गई है.

अतिरिक्त जजों को परमानेंट बनाने की विधि

संविधान के अनुच्छेद 217 के तहत, हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है. मुख्य न्यायाधीश को अतिरिक्त न्यायाधीश की स्थायी नियुक्ति के लिए सिफारिश करते समय कई महत्वपूर्ण आंकड़े प्रस्तुत करने होते हैं. इसमें न्यायाधीश द्वारा सुनाए गए मामलों की संख्या, उनके द्वारा दिए गए निर्णय और न्यायालय में उपस्थित रहने के दिन शामिल होते हैं.

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संविधान के अनुच्छेद 224 (1) के तहत, राष्ट्रपति अतिरिक्त न्यायाधीशों की नियुक्ति कर सकते हैं. इस प्रक्रिया में यह सुनिश्चित किया जाता है कि न्यायपालिका में योग्य और अनुभवी व्यक्तियों की नियुक्ति की जाए. इसके तहत, यदि कोई स्थायी न्यायाधीश की रिक्ति होती है, तो मुख्य न्यायाधीश को अतिरिक्त न्यायाधीश की नियुक्ति की सिफारिश नहीं करनी चाहिए.

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