सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने विभिन्न हाई कोर्ट में न्यायिक नियुक्तियों और कार्यकाल बढ़ाने की सिफारिश की
गुजरात हाई कोर्ट के आठ नए न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने गुजरात हाई कोर्ट में आठ नए न्यायिक अधिकारियों को जज नियुक्त करने की मंजूरी दी है। यह निर्णय 19 मार्च को CJI संजीव खन्ना की अध्यक्षता में आयोजित एक कॉलेजियम बैठक में लिया गया, जिसमें न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल थे।
सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर जारी बयान में बताया गया कि जिन न्यायिक अधिकारियों को गुजरात हाई कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश की गई है, उनमें निम्नलिखित नाम शामिल हैं:
- लियाकाथुसैन शम्सुद्दीन पीरजादा
- रामचन्द्र ठाकुरदास वच्छानी
- जयेश लखंशीभाई ओडेद्रा
- प्रणव महेशभाई रावल
- मूल चंद त्यागी
- दीपक मनसुखलाल व्यास
- उत्कर्ष ठाकोरभाई देसाई
- रोहनकुमार कुन्दनलाल
यह नियुक्तियां गुजरात हाई कोर्ट की न्यायिक प्रणाली को और मजबूत करने का कदम हैं और नए जजों के माध्यम से राज्य में न्यायिक कार्यवाही को प्रभावी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देंगी।
पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में तीन स्थायी जजों की नियुक्ति
एक अलग बयान में, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में तीन नए स्थायी जजों की नियुक्ति की सिफारिश की है। यह नियुक्तियां निम्नलिखित न्यायिक अधिकारियों के लिए की गई हैं:
- न्यायमूर्ति सुमित गोयल
- न्यायमूर्ति सुदीप्ति शर्मा
- न्यायमूर्ति कीर्ति सिंह
यह नियुक्ति निर्णय पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में न्यायिक कार्यों के सुचारु संचालन और मामलों के तेज निपटान के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में तीन जजों के कार्यकाल में विस्तार
इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में तीन अतिरिक्त न्यायाधीशों के कार्यकाल को एक और साल के लिए बढ़ाने की सिफारिश की है। जिन जजों के कार्यकाल को बढ़ाया गया है, वे हैं:
- न्यायमूर्ति सचिन सिंह राजपूत
- न्यायमूर्ति राधाकिशन अग्रवाल
- न्यायमूर्ति संजय कुमार जायसवाल
इस कदम का उद्देश्य छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में लंबित मामलों के निपटान में तेजी लाना और न्यायिक कार्यों को बेहतर तरीके से संपन्न करना है।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा की गई इन नियुक्तियों और कार्यकाल विस्तार की सिफारिशों से यह स्पष्ट होता है कि न्यायपालिका की संरचना को और मजबूत किया जा रहा है ताकि न्यायिक कार्यों में गति लाई जा सके और आम जनता को जल्द और प्रभावी न्याय मिल सके। इन निर्णयों से संबंधित हाई कोर्टों में न्यायिक प्रणाली को अधिक कुशल बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।
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