सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को याद दिलाने के लिए एक अधिसूचना जारी करे, ताकि सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के लिए अलग बेबी केयर सुविधाएं स्थापित की जा सकें।
केंद्र सरकार पहले ही जारी कर चुकी है परामर्श
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने सुनवाई के दौरान यह उल्लेख किया कि केंद्र सरकार इस संबंध में पहले ही परामर्श (अडवाइजरी) जारी कर चुकी है।
पीठ ने कहा,
“यदि राज्य सरकारें इस सलाह पर अमल करती हैं, तो यह युवा माताओं और शिशुओं के लिए बहुत लाभदायक होगा। यह सुनिश्चित करेगा कि माताओं को अपने शिशुओं को स्तनपान कराने के दौरान उचित गोपनीयता और सुविधा मिले। हम पाते हैं कि केंद्र सरकार द्वारा जारी यह परामर्श संविधान के अनुच्छेद 14 और 15(3) के तहत प्राप्त मौलिक अधिकारों के अनुरूप है।”
राज्य सरकारों को भी निर्देश
कोर्ट ने निर्देश दिया कि केंद्र सरकार मुख्य सचिवों को फिर से इस परामर्श की याद दिलाने के लिए अधिसूचना जारी करे।
साथ ही, राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया कि सार्वजनिक स्थानों पर पहले से निर्माणाधीन या नियोजित इमारतों में बेबी केयर सुविधाओं के लिए पर्याप्त स्थान आरक्षित किया जाए।
जनहित याचिका पर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ‘मातृ स्पर्श’—अव्यायन फाउंडेशन द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई कर रही थी।
याचिकाकर्ताओं ने महिलाओं और माताओं के लिए सार्वजनिक स्थानों पर अलग निजी चाइल्ड केयर और फीडिंग सेंटर बनाने की मांग की थी।
न्यायालय में याचिकाकर्ताओं की ओर से कौन थे वकील?
याचिकाकर्ताओं की ओर से एडवोकेट नेहा रस्तोगी और अनिमेष रस्तोगी ने पैरवी की।
निर्देश जारी करने के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका का निपटारा कर दिया।
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