सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए देश के सभी उच्च न्यायालयों को अग्रिम जमानत और जमानत अर्जियों पर सुनवाई में देरी पर चिंता जताते हुए सभी विलम्बित सभी जमानत अर्जियों पर यथाशीघ्र सुनवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।
सर्वोच्च अदालत ने कहा कि वह अपने पूर्व आदेशों में कई बार कह चुका है कि यह यह मुद्दा लोगों की स्वतंत्रता से जुड़ा है इसलिए इस पर जल्दी से जल्दी सुनवाई कर निर्णय किया जाना चाहिए, लेकिन ये चिंता का विषय है कि बार बार आदेश दिये जाने के बावजूद वही स्थिति जारी है।
छत्तीसगढ़ के एक मामले में हुई सुनवाई-
इस मामले में आदेश और टिप्पणियां न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने जमानत अर्जी पर सुनवाई अनिश्चितकाल के लिए टाल देने के छत्तीसगढ़ के मामले में अपील पर सुनवाई के दौरान गत 11 दिसंबर को दिये। याचिकाएं हिमांशु गुप्ता बनाम छत्तीसगढ़ राज्य और कवीश गुप्ता बनाम छत्तीसगढ़ की थीं।
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट द्वारा जमानत अर्जी को विचारार्थ स्वीकार करने के बाद उस पर निर्णय अनावश्यक रूप से टालने पर चिंता जताई। पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट बार बार दोहरा चुका है कि अग्रिम जमानत और जमानत अर्जियों के मामले लोगों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़े होते हैं इसलिए उन पर जल्दी सुनवाई कर निपटारा होना चाहिए।
क्या है मामला ?
पीठ ने कहा कि 21 फरवरी 2022 को भी सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने एक बार फिर यही बात दोहराई थी। वस्तुत: सुप्रीम कोर्ट ने जमानत अर्जी को विचारार्थ स्वीकार कर लिए जाने के बाद उन पर निर्णय अनावश्यक रूप से टालने की निंदा की थी। मौजूदा मामले में अभियुक्त के खिलाफ छत्तीसगढ़ के रायपुर में विधानसभा थाने में आइपीसी की धारा 420 और धारा 34 के तहत प्राथमिकी दर्ज हुई बाद में उसमें धारा 467, 468, 409 और 471 भी जोड़ दी गईं।
अभियुक्त ने अदालत में जमानत अर्जी दाखिल की जो छह दिसंबर 2023 को कोर्ट में सुनवाई पर लगी। कोर्ट ने वह जमानत अर्जी विचारार्थ स्वीकार कर ली। केस डायरी मंगाई और केस को क्रमानुगत आर्डर (यानी जब क्रमानुसार इसका नंबर आये) में सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट में इसी आदेश को चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट में अभियुक्त की ओर से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने लंबी बहस की।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश-
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद दिए आदेश में कहा कि जिस आदेश को चुनौती दी गई है उसे देखने से साफ होता है कि कोर्ट ने मामले को किसी निश्चित तिथि पर सुनवाई के लिए नहीं लगाया था, बल्कि कहा कि केस को क्रमानुसार आर्डर में सुनवाई पर लगाया जाए। ये परिस्थिति बताती है कि केस कब सुनवाई पर लगेगा यह सिर्फ अनुमान की बात है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन्हें यह कहने में जरा भी संकोच नहीं है कि मामले को विचारार्थ स्वीकार करने के बावजूद आदेश में कोई निश्चितता नहीं है। इस तरह तो जमानत और अग्रिम जमानत से संबंधित मामलों की सुनवाई में निश्चित तौर पर देरी होगी जो कि व्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए नुकसानदेह है। पीठ ने कहा कि इन पहलुओं पर संज्ञान लेते हुए यह अदालत आदेश देती ही कि निजी स्वतंत्रता से संबंधित मामलों को जल्दी टेकअप कर जल्दी निपटाया जाना चाहिए।
चार सप्ताह में निपटाया जाये मामला-
सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित एकल न्यायाधीश से कहा है कि वह याचिकाकर्ता अभियुक्त की अग्रिम जमानत अर्जी पर जल्दी सुनवाई कर चार सप्ताह में निपटाए। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने अभियुक्त को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण दे दिया है। विभिन्न अदालतों में बार बार ऐसी स्थिति आने को देखते हुए रजिस्ट्री को निर्देश दिया है कि वह इस आदेश की प्रति सभी उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल और संबंधित उच्च न्यायालयों को भेजे ताकि अग्रिम जमानत और जमानत के मामले यथाशीघ्र सुनवाई के लिए लगना सुनिश्चित हो।
केस टाइटल – हिमांशु गुप्ता बनाम छत्तीसगढ़ राज्य