सुप्रीम कोर्ट: मात्र असुविधा या क्षेत्राधिकार की आपत्ति पर धारा 138 एनआई एक्ट मामलों का स्थानांतरण नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने एम/एस श्री सेंधुर एग्रो एंड ऑयल इंडस्ट्रीज बनाम कोटक महिंद्रा बैंक लिमिटेड (2025 INSC 328) मामले में धारा 138, परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 (NI Act) के तहत दायर शिकायतों के स्थानांतरण से जुड़े क्षेत्राधिकार के प्रश्न पर महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि धारा 406, दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (CrPC) के तहत मुकदमे को एक राज्य से दूसरे राज्य में स्थानांतरित करने के लिए केवल “असुविधा” या “दूरी” का आधार पर्याप्त नहीं है।
मामले की पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता एम/एस श्री सेंधुर एग्रो एंड ऑयल इंडस्ट्रीज ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि कोटक महिंद्रा बैंक द्वारा चेक बाउंस का मामला चंडीगढ़ में दायर किया जाना अनुचित है, क्योंकि पूरी वित्तीय लेन-देन कोयंबटूर, तमिलनाडु में हुई थी।
बैंक ने धारा 142(2) एनआई एक्ट का हवाला देते हुए तर्क दिया कि चेक जिस बैंक शाखा में जमा किया जाता है, उस क्षेत्राधिकार की अदालत में शिकायत दर्ज करना कानूनी रूप से वैध है।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
न्यायमूर्ति जे.बी.पारदीवाला और न्यायमूर्ति श्री आर. महादेवनकोर्ट की पीठ ने याचिकाकर्ता की स्थानांतरण याचिका खारिज कर दी और स्पष्ट किया कि:
✅ धारा 142(2) एनआई एक्ट (2015 संशोधन) के अनुसार, चेक जिस बैंक शाखा में कलेक्शन के लिए प्रस्तुत किया जाता है, वहां शिकायत दर्ज करना वैध है।
✅ मात्र भाषा की असुविधा, दूरी या यात्रा की कठिनाइयों के आधार पर मुकदमे का स्थानांतरण नहीं किया जा सकता।
✅ यदि कोई व्यक्ति मुकदमे के स्थान से असंतुष्ट है, तो उसे यह साबित करना होगा कि वर्तमान स्थान पर सुनवाई होने से न्याय से वंचित होने की वास्तविक आशंका है।
✅ क्षेत्राधिकार की आपत्ति मात्र स्थानांतरण का आधार नहीं हो सकती, खासकर जब शिकायतकर्ता को पहले से ही कानूनी रूप से मान्य क्षेत्राधिकार प्राप्त हो।
महत्वपूर्ण कानूनी संदर्भ
सुप्रीम कोर्ट ने निम्नलिखित मामलों का हवाला दिया:
🔹 दशरथ रूपसिंह राठौड़ बनाम महाराष्ट्र राज्य (2014) 9 SCC 129: यह निर्णय कहता था कि क्षेत्राधिकार वहीं होगा, जहां चेक बाउंस हुआ हो, लेकिन 2015 संशोधन ने इस सिद्धांत को बदल दिया।
🔹 के. भास्करन बनाम संकरण वैद्यन बालन (1999) 7 SCC 510: धारा 138 के पांच प्रमुख तत्वों की पहचान की गई, जिनमें से किसी एक के घटित होने पर संबंधित न्यायालय क्षेत्राधिकार प्राप्त कर सकता है।
🔹 योगेश उपाध्याय बनाम अटलांटा लिमिटेड (2023 SCC OnLine SC 170): इसमें स्पष्ट किया गया कि धारा 142(2) के तहत जिस बैंक शाखा में चेक जमा हुआ, उसी क्षेत्राधिकार की अदालत में मामला चलेगा।
🔹 अमरिंदर सिंह बनाम प्रकाश सिंह बादल (2009) 6 SCC 260: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फौजदारी मामलों में स्थानांतरण तभी होगा जब पूर्वाग्रह या न्यायिक अन्याय की वास्तविक आशंका हो।
प्रभाव और निष्कर्ष
📌 फोरम शॉपिंग पर रोक: यह निर्णय उन मामलों में मार्गदर्शक बनेगा, जहां अभियुक्त केवल अपनी सुविधा के लिए मुकदमे को स्थानांतरित कराना चाहते हैं।
📌 व्यवहारिक समाधान: कोर्ट ने सुझाव दिया कि अभियुक्त वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यवाही में भाग लेने या व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट मांग सकते हैं।
📌 न्यायिक सिद्धांतों की रक्षा: यह निर्णय यह सुनिश्चित करता है कि शिकायतकर्ता को कानूनी रूप से मान्य क्षेत्राधिकार में मुकदमा दायर करने का अधिकार मिले, जबकि अभियुक्त को भी निष्पक्ष सुनवाई का अवसर उपलब्ध हो।
अतः एम/एस श्री सेंधुर एग्रो एंड ऑयल इंडस्ट्रीज बनाम कोटक महिंद्रा बैंक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल असुविधा के आधार पर मुकदमे को स्थानांतरित नहीं किया जा सकता, जब तक कि न्यायिक पूर्वाग्रह या अन्याय का ठोस प्रमाण न हो।
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