सरकार ने राज्यसभा को बताया कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों Judges की सेवानिवृत्ति Retirement की उम्र age बढ़ाने की कोई योजना नहीं है।
AAP राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने की रिटायरमेंट के बाद की वकालत सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों के “ठंडा बंद करना” Cooling Off हितों के संभावित टकराव के बारे में चिंताओं का हवाला देते हुए न्यायाधीशों के लिए अवधि।
सरकार ने राज्यसभा में स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों के रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। संविधान में ऐसी किसी ‘कूलिंग ऑफ’ की अवधि पर भी कोई विचार नहीं है, जो रिटायरमेंट के बाद जजों को राजनीतिक या कार्यकारी भूमिका से रोक सके।
राज्यसभा में एक अहम सवाल के जवाब में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने जानकारी दी कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों की रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने का कोई प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन नहीं है। उन्होंने सवाल के जवाब में यह भी बताया कि जजों के रिटायरमेंट के बाद ‘कूलिंग ऑफ’ पीरियड का भी कोई प्रस्ताव नहीं है, जिससे रिटायर्ड जजों को तुरंत राजनीति में आने से रोका जा सके।
AAP के सांसद राघव चड्ढा ने प्रश्नकाल के दौरान कहा कि कई जजों को रिटायरमेंट के बाद कार्यकारी और राजनीतिक भूमिकाएं दी जाती हैं, जो हितों के टकराव के सवाल को उठाता है। उन्होंने सुझाया कि ज्यूडिशरी की स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए जजों को रिटायरमेंट के बाद कम से कम दो साल के लिए किसी भी राजनीतिक या कार्यकारी भूमिका में नहीं आना चाहिए।