Supreme Court सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान Madhya Pradesh High Court मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने जज के खिलाफ यौन शोषण का आरोप लगाने वाली पूर्व महिला जज की नौकरी बहाल करने का विरोध किया लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश की पूर्व महिला जज को फिर से बहाल करने का आदेश दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि उनका इस्तीफा स्वैच्छिक नहीं हो सकता है. अदालत ने कहा कि पिछला वेतन वापस नहीं मिलेगा लेकिन उन्हें आगे बहाल कर वेतन भत्ता दिया जाएगा. महिला जज ने 2014 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक जज पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था और अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
जस्टिस एल नागेश्वर राव (Justice L Nageswara Rao) और जस्टिस बीआर गवई (Justice BR Gavai) ने महिला न्यायाधीश के इस्तीफे को स्वीकार करने वाले आदेश को रद्द कर दिया. साथ ही उन्हें मध्य प्रदेश न्यायपालिका में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश नियुक्त करने का भी आदेश दिया. हालांकि, वे इस अवधि के लिए वेतन और भत्ते प्राप्त करने के हकदार नहीं होंगे. महिला जज ने कहा था कि 15 दिसंबर 2017 को जजों की जांच समिति की रिपोर्ट में हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के इस्तीफे के कारण को 15 जुलाई 2014 को नजरअंदाज कर दिया था. महिला जज के पास कोई रास्ता नहीं बचा था, इसलिए उन्होंने इस्तीफा दे दिया एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज से इस्तीफा दिया था.
पिछले महीने, हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि महिला ने अपने इस्तीफे के आधार के रूप में प्रतिकूल कामकाजी माहौल का हवाला दिया था कि उसे कथित तौर पर इस वजह से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया था. उन्होंने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने के चार साल बाद यह मामला उठाया है.
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उच्च न्यायालय के जज के खिलाफ यौन उत्पीड़न के अपने आरोपों की जांच के बाद इस्तीफा दे चुकी पूर्व महिला न्यायिक अधिकारी यह आरोप नहीं लगा सकती कि उनकी शिकायत गलत पाए जाने के चार साल बाद वह इस्तीफा देने के लिए मजबूर हुईं.
दरअसल महिला अधिकारी ने अदालत में आरोप लगाया था कि उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया था. हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि महिला ने कामकाज के प्रतिकूल माहौल को इस्तीफे का आधार बताया था कि उन्हें कथित तौर पर इस वजह से इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा था लेकिन यह मामला उन्होंने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने के चार साल बाद उठाया है.
मेहता ने पीठ को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस मंजुला चेल्लूर और वरिष्ठ वकील केके वेणुगोपाल सहित जजों की जांच समिति ने दिसंबर 2017 में राज्यसभा में पेश अपने रिपोर्ट में यौन उत्पीड़न को आरोपी हाईकोर्ट के जज को आरोपमुक्त कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने जज के खिलाफ यौन शोषण का आरोप लगाने वाली पूर्व महिला जज की नौकरी बहाल करने का विरोध किया लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया. दरअसल पूर्व महिला न्यायिक अधिकारी ने हाईकोर्ट के जज पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था जो जांच में गलत साबित हुआ था. इसके बाद महिला अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर नौकरी बहाल करने की मांग की थी.